राफेल सुनवाई का दायरा बढ़ा: SC ने कीमत और ऑफसेट पार्टनर पर भी मांगा जवाब, 14 नवंबर को अगली सुनवाई
कोर्ट ने सरकार से ये भी बताने को कहा कि विमानों के लिए ऑफसेट पार्टनर का चुनाव किस तरीके से किया गया. चीफ जस्टिस ने कहा- अगर ये जानकारी सार्वजनिक तौर पर बताने लायक नहीं है, तो हमें सीलबंद लिफाफे में दी जा सकती है.
नई दिल्लीः भारत और फ्रांस के बीच हुए राफेल विमान सौदे पर सुनवाई का दायरा सुप्रीम कोर्ट ने और बढ़ा दिया है. आज कोर्ट ने विमानों की कीमत और ऑफसेट पार्टनर के चयन पर भी जवाब मांग लिया. इससे पहले कोर्ट ने सरकार से सौदे की निर्णय प्रक्रिया की जानकारी सीलबंद लिफाफे में देने को कहा था.
14 नवंबर को अगली सुनवाई कोर्ट ने सरकार से ये भी कहा है कि निर्णय प्रक्रिया को लेकर जो भी बातें सार्वजनिक की जा सकती हैं, उनकी जानकारी याचिकाकर्ताओं को भी दी जाए. कोर्ट ने सरकार को हलफनामा दाखिल करने के लिए 10 दिन का वक्त दिया है. कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता चाहें तो सरकार से मिली जानकारी पर जवाब दे सकते हैं. अगली सुनवाई 14 नवंबर को होगी.
ऑफसेट पार्टनर के चुनाव पर किया सवाल सुनवाई शुरू होते ही तीन जजों की बेंच की अध्यक्षता कर रहे चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा, "हमारे आदेश के मुताबिक सरकार ने सीलबंद लिफाफे में सौदा के निर्णय की प्रक्रिया की जानकारी दी है. हमने इसे पढ़ा है. इस पर अभी कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते. हमें दी गई जानकारी में से जो भी बातें सार्वजनिक करने लायक है, सरकार याचिकाकर्ताओं को वो बता दे.
कोर्ट ने सरकार से ये भी बताने को कहा कि विमानों के लिए ऑफसेट पार्टनर का चुनाव किस तरीके से किया गया. चीफ जस्टिस ने कहा- अगर ये जानकारी सार्वजनिक तौर पर बताने लायक नहीं है, तो हमें सीलबंद लिफाफे में दी जा सकती है.
कीमत पर भी जानकारी मांगी आदेश लिखवाते वक्त कोर्ट ने दर्ज किया कि किसी भी याचिका में विमानों के तकनीकी क्षमता का मसला नहीं उठाया गया है. लेकिन कीमत को लेकर सबने संदेह जताया है. ऐसे में कोर्ट का कहना था कि सरकार विमानों की कीमत को लेकर भी सीलबंद लिफाफे में जानकारी दे.
एटॉर्नी जनरल का एतराज़ एटॉर्नी जनरल ने कीमत को लेकर जवाब देने में असमर्थता जताई. उन्होंने कहा कि कोर्ट की तरफ से मांगी गई कुछ जानकारी गोपनीयता कानून यानी ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट के तहत आती है. कीमत की जानकारी संसद में भी नहीं दी गयी है. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा, "आप अगर इस बारे में जानकारी नहीं दे सकते, तो ऐसा कहते हुए लिखित हलफनामा दाखिल कर दें."
बढ़ती नज़र आ रही है सरकार की उलझन 10 अक्टूबर को जब ये मामला पहली बार लगा था, तब सरकार ने याचिकाओं को राजनीतिक बताते हुए सुनवाई न करने की मांग की थी. उस दिन कोर्ट ने कहा था कि आप सिर्फ हमें निर्णय प्रक्रिया की जानकारी सीलबंद लिफाफे में बता दीजिए. सरकार को उम्मीद थी कि कोर्ट आज मामले को बंद कर देगा. लेकिन कोर्ट ने विमान की कीमत और ऑफसेट पार्टनर के चुनाव पर भी जवाब मांग लिया. ऐसे में सरकार की उलझन बढ़ती हुई नजर आ रही है.
सीबीआई से जवाब मांगने से फिलहाल मना किया सुप्रीम कोर्ट में आज जिन याचिकाओं पर सुनवाई हुई, उनमें से एक पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और प्रशांत भूषण की थी. प्रशांत भूषण ने कोर्ट से कहा कि तीनों ने सीबीआई को लिखित शिकायत दी थी. लेकिन सीबीआई ने अब तक एफआईआर दर्ज नहीं की है. सीबीआई से पूछा जाए कि उसने इस मामले में क्या कार्रवाई की.
चीफ जस्टिस ने उनसे कहा कि फिलहाल आप इस पर इंतजार कीजिए. अभी तो सीबीआई में ही सब कुछ व्यवस्थित नहीं है. अगर उससे जवाब मांगने की ज़रूरत लगी, तो इस पर बाद में विचार किया जाएगा.
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