नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने बलात्कार पीड़ितों को मुआवज़े के लिए एक समान नीति बनाने के लिए कहा है. इस बारे में नए गाइडलाइन्स का ड्राफ्ट बनाने का जिम्मा नेशनल लीगल सर्विस अथॉरिटी (NALSA) को दिया गया है.


सुप्रीम कोर्ट ने ये आदेश महिला सुरक्षा को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिया है. ये याचिकाएं 16 दिसंबर 2012 के दिल्ली गैंगरेप कांड के बाद दायर हुई थीं. कोर्ट ने विक्टिम कंपनसेशन स्कीम के तहत अलग-अलग राज्यों में मुआवजा न मिलने पर संज्ञान लेते हुए ये आदेश दिया है. NALSA को 31 दिसंबर तक रिपोर्ट देनी है.


कोर्ट ने कहा है कि NALSA रेप और एसिड अटैक के पीड़ितों को मुआवज़े सुझाव दे. इसके साथ ही विक्टिम कंपनसेशन स्कीम की दूसरी कमियों को दूर करने पर भी रिपोर्ट दे. इस मामले में एमिकस क्यूरी वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि मौजूदा विक्टिम कंपनसेशन स्कीम में कई खामियां है. पीड़ितों तक सही मुआवजा नहीं पहुंच पा रहा है. अधिकतर मामलों में आरोपियों के दबाव में पीड़ित अपनी शिकायत से मुकर जाते हैं. लिहाजा उन्हें पुलिस सुरक्षा मिलनी चाहिए.


ऐप बेस्ड कैब सर्विस पर भी हुई सुनवाई


सुप्रीम कोर्ट में लंबित याचिकाओं में सार्वजनिक परिवहन को महिलाओं के लिए ज़्यादा सुरक्षित बनाने की भी मांग की गई है. इस मसले पर इंदिरा जयसिंह ने कहा कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट को दुरुस्त करने के साथ ही ऐप बेस्ड ट्रांसपोर्ट सर्विस को रेगुलेट करने की भी जरूरत है.


उन्होंने कहा कि ऐप बेस्ड कैब सर्विस में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे किसी की शिकायत का हल हो सके. ड्राइवर के अपराध करने की स्थिति में इन कंपनियों की भी जिम्मेदारी तय करने की जरूरत है. कोर्ट ने इस पर सरकार से पूछा है कि कैसे इन कंपनियों की जवाबदेही तय हो सकती है. सुप्रीम कोर्ट 7 दिसंबर को आगे इस पर सुनवाई करेगा.