नई दिल्ली: आधार योजना की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट पूछा- "पहचान छुपाये रखना व्यक्ति का मौलिक अधिकार कैसे हो सकता है? अगर व्यक्ति गुमनाम रहता है तो सरकार की तरफ से मिलने वाले लाभ उसे कैसे मिलेंगे?"
ये बात सवाल सुप्रीम कोर्ट ने तब कही जब आधार योजना का विरोध कर रहे वकील गोपाल सुब्रमण्यम ने कहा, "इस योजना ने व्यक्ति को 12 अंकों की संख्या में बदल दिया है. अगर कोई समाज से अलग रहना चाहता है तो ये उसका अधिकार है. उसको अपनी पहचान बताने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता."
कोर्ट ने आगे कहा, "संविधान ने नागरिको के लिए सरकार के दायित्व तय किए हैं. अगर नागरिक गुमनाम रहेगा तो सरकार अपनी ज़िम्मेदारी कैसे निभाएगी?" मामले की सुनवाई 15 फरवरी को जारी रहेगी.
आधार की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं में दलील दी गई है कि आधार के लिए जुटाए गए बायोमेट्रिक आंकड़ों का दुरुपयोग हो सकता है. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कहा था, "किसी भी कानून को सिर्फ इस लिए रद्द नहीं किया जाता कि उसके दुरुपयोग की आशंका है. ये दुनिया भर में स्थापित कानूनी सिद्धांत है.