SC ने प्रवासी मज़दूरों की आसान यात्रा के लिए सरकार से तुरंत कदम उठाने को कहा, हफ्ते भर बाद फिर सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने सड़कों पर पैदल चल रहे प्रवासी मजदूरों की स्थिति पर सुप्रीम कोर्ट ने 26 मई को संज्ञान लिया था और आज सुनवाई की तारीख तय की थी.
नई दिल्ली: देश की सबसे बड़ी अदालत ने आखिरकार आज प्रवासी मजदूरों की बदहाली पर संज्ञान लिया और सुनवाई की. मज़दूरों को बिना किराया वसूले भेजने समेत कई अंतरिम आदेश जारी किए. केंद्र और राज्य सरकारों से विस्तृत जवाब भी दाखिल करने को भी कहा.
2 दिन पहले संज्ञान लिया था
26 मई को सुप्रीम कोर्ट ने मजदूरों की स्थिति पर संज्ञान लेते हुए केंद्र और सभी राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया था. उनसे आज की सुनवाई में मौजूद रहने को कहा था. जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस संजय किशन कौल और एम आर शाह की बेंच के सामने केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और राज्यों की तरफ से उनके वकील पेश हुए. सबसे पहले सॉलिसिटर जनरल ने जजों को संबोधित किया और अब तक उठाए गए कदमों का ब्यौरा दिया.
‘91 लाख लोगों को घर भेजा’
सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि 1 मई से 27 मई के बीच 3700 श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाई गई इनमें 50 लाख लोगों को एक राज्य से दूसरे राज्य भेजा गया. जो राज्य आपस में पड़ोसी हैं उनमें बसों के जरिए मजदूरों को भेजा गया. यह संख्या भी 41 लाख है. इस तरह पिछले 28 दिनों में 91 लाख मजदूरों को उनके घर पहुंचाया गया है. केंद्र, राज्य और रेलवे आपस में समन्वय से काम कर रहे हैं. जो लोग अपने राज्य में पहुंच रहे हैं, वहां की सरकार उन्हें जरूरत के मुताबिक क्वारंटीन कर रही है. बाद में बसों से उनके घर भेज रही है. यात्रा और क्वारंटीन की अवधि के दौरान भोजन की व्यवस्था की जा रही है.
ज़्यादा प्रभावी कदम की ज़रूरत
इस पर जजों ने कहा, ''हम यह नहीं कह रहे हैं कि केंद्र और राज्य सरकारें काम नहीं कर रही हैं. लेकिन जरूरतमंदों की संख्या बहुत ज्यादा है. सभी लोगों तक आपकी मदद नहीं पहुंच पा रही है. इसलिए, ज्यादा केंद्रित और ठोस प्रयास की जरूरत है. तभी हम यह सुनवाई कर रहे हैं.''
राज्यों से भी मांगा जवाब
इसके बाद जजों ने कुछ राज्य सरकार वकीलों को सुना. यूपी के वकील ने बताया कि मजदूरों को किराया ना देना पड़े इसके लिए यूपी सरकार ने रेलवे को 51 करोड़ रुपए का एडवांस किराया अपनी तरफ से दे दिया है. जो मजदूर राज्य में वापस पहुंच रहे हैं, उनकी आर्थिक सहायता की जा रही है. उन्हें तुरंत राहत किट भी दिया जा रहा है, जिसमें अनाज और दूसरे जरूरी सामान होते हैं. कोर्ट ने इस बात पर चिंता जताई कि जिन मजदूरों ने पहले किराया दे दिया है, बिहार में उन्हें किराया लौटाया जा रहा है. कोर्ट को इस बात की चिंता थी कि मजदूर तो अपने घर पहुंच गए. इन पैसों को कहीं बिचौलिए न खा जाएं. जजों ने बिहार के वकील को इस बारे में आगाह किया.
कम तैयारी के साथ आए महाराष्ट्र के वकील को हल्की झिड़की खानी पड़ी. जजों ने कहा कि सबसे ज्यादा मामले आपके राज्य में ही हुए हैं. हम जानना चाहते हैं कि मजदूरों को वहां से भेजने के लिए किस तरह से रजिस्टर किया जा रहा है? उन्हें कितने दिनों में भेजा जा रहा है? जब तक उनके जाने की बारी नहीं आती, तब तक उनका ध्यान किस तरह से रखा जा रहा है? कोर्ट ने कहा कि सभी पक्ष इन पहलुओं पर जवाब दाखिल करें. कोर्ट ने कहा कि सभी पक्ष इन पहलुओं पर जवाब दाखिल करें.
कोर्ट का अंतरिम आदेश
जजों ने अलग-अलग याचिकाकर्ताओं की तरफ से पेश हुए कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी, इंदिरा जयसिंह जैसे जैसे वकीलों को भी सुना और अंतरिम आदेश देते हुए कहा :-
* मज़दूरों से ट्रेन या बस का किराया न लिया जाए * जो जहां फंसा है, वहां की सरकार उसे भोजन दे. जानकारी दे कि मदद कहां उपलब्ध है. * रेल के सफर में लोगों को रेलवे खाना-पानी दे * बस यात्रा में राज्य भोजन-पानी दें * रजिस्ट्रेशन के बाद मज़दूरों को जल्द यात्रा का साधन मिले
कोर्ट ने कहा है कि इस अंतरिम आदेश को को तत्काल प्रभाव से लागू किया जाए. सुनवाई के दौरान रखे गए पहलुओं के आधार पर केंद्र और राज्य सरकारें विस्तृत जवाब दाखिल करें. इसके लिए सभी को 1 हफ्ते का वक्त दिया गया है. मामले में आगे की सुनवाई शुक्रवार 5 जून को होगी.
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