नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से रफाल लड़ाकू विमानों की खरीद का फैसला लेने की प्रक्रिया की जानकारी मांगी है. कोर्ट ने साफ किया है कि वो रफाल के तकनीकी पहलुओं या उसकी कीमत से जुड़ी जानकारी नहीं चाहता. कोर्ट ने कहा कि उसे सिर्फ ये बताया जाए कि खरीद का फैसला किस तरह लिया गया, वो भी सीलबंद लिफाफे में. जिससे सिर्फ जज ये देख सकें कि प्रक्रिया में कोई कमी थी या नहीं.
नोटिस जारी करने से इनकार
कोर्ट में दायर याचिकाओं में भारत और फ्रांस सरकार के बीच हुए रफाल सौदे पर सवाल उठाए गए थे. सौदे में भ्रष्टाचार का अंदेशा जताया गया था. कहा गया था कि जो कीमतें रफाल की दुनिया भर में है, उससे बहुत ज्यादा कीमत पर खरीद हुई है. लेकिन कोर्ट ने इन याचिकाओं पर नोटिस जारी करने से मना कर दिया. कोर्ट ने कहा कि वह रफाल विमानों के तकनीकी पहलू या उनकी कीमत पर जानकारी नहीं चाहता.
तहसीन पूनावाला ने वापस ली याचिका
सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई के लिए तीन याचिकाएं लगी थी. एक वकील एम एल शर्मा की थी, दूसरी वकील विनीत ढांडा की और तीसरी कांग्रेस समर्थक सामाजिक कार्यकर्ता तहसीन पूनावाला की. इनमें से तहसीन पूनावाला ने बिना जिरह किये याचिका वापस ले ली.
एटॉर्नी जनरल ने किया विरोध
केंद्र सरकार की तरफ से कोर्ट में मौजूद अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि इन याचिकाओं का जनहित से कोई लेना देना नहीं. इन्हें राजनीतिक मकसद से दाखिल किया गया है. याचिकाकर्ता चाहते हैं कि किसी तरह सरकार को नोटिस जारी हो और इसका आने वाले चुनाव में राजनीतिक लाभ लिया जाए. मामला देश की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है. इसकी विस्तृत चर्चा नहीं की जा सकती.
कोर्ट ने संवेदनशीलता को समझा
इस पर बेंच की अध्यक्षता कर रहे चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा, "हम याचिकाओं पर नोटिस जारी नहीं कर रहे हैं. याचिकाकर्ताओं की तरफ से कही गई बातों पर भी संज्ञान नहीं ले रहे. सरकार सिर्फ इस बात की जानकारी दे दे कि सौदे का फैसला लेने की प्रक्रिया क्या रही." मामले की अगली सुनवाई 29 अक्टूबर को होगी.
MeToo: कांग्रेस ने एमजे अकबर से मांगा इस्तीफा, 6 महिला पत्रकारों ने लगाए हैं यौन शोषण के आरोप