Supreme Court Stand On Defense Ministry: सुप्रीम कोर्ट ने सशस्त्र बलों के पात्र पेंशन भोगियों को ‘वन रैंक वन पेंशन’ (ओआरओपी) के बकाये का भुगतान किस्तों में करने संबंधी रक्षा मंत्रालय के 20 जनवरी के पत्र को लेकर सोमवार (27 जनवरी) को कड़ा रुख अख्तियार किया. सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने मंत्रालय के सचिव के जारी किये गये पत्र पर ऐतराज जताया और उन्हें अपना रुख साफ करते हुए एक व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया.


क्या कहा एससी की पीठ ने?


सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने  कहा, ‘‘आप सचिव को कहिये कि हम 20 जनवरी के पत्र को लेकर उनके खिलाफ कार्रवाई करने जा रहे हैं. या तो इसे वापस लिया जाए, नहीं तो हम रक्षा मंत्रालय को अवमानना नोटिस जारी करने जा रहे हैं. न्यायिक प्रक्रिया की पवित्रता बरकरार रखनी होगी.’’ इस पीठ में न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला भी शामिल हैं.


अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एन वेंकटरमणी ने अदालत से कहा कि मंत्रालय को न्यायालय के आदेशानुसार कार्य करने के लिए समय दिया जाना चाहिए. इसपर, सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई को होली की छुट्टी के बाद के लिए सूचीबद्ध कर दिया. उल्लेखनीय है कि नौ जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने सशस्त्र बलों के सभी पात्र पेंशनभोगियों को ओआरओपी के कुल बकाये के भुगतान के लिए केंद्र को 15 मार्च तक की समय-सीमा दी थी.


सैनिकों ने दायर की थी याचिका


दरअसल वन रैंक-वन पेंशन (ओआरओपी) योजना के बकाये का भुगतान 4 की जगह एक ही किश्त में किए जाने की मांग को लेकर पूर्व सैनिकों के एक समूह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. इस समूह ने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग की थी. याचिका में रक्षा मंत्रालय की तरफ 20 जनवरी, 2023 के केंद्र के संवाद को रद्द करने की भी मांग भी की गई थी.


ये याचिका भारतीय पूर्व सैनिक आंदोलन (आईईएमएम) ने दायर की थी. सोमवार (27 फरवरी) को चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने इस सुनवाई की. 


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