नई दिल्ली: उत्तराखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के एम जोसेफ को सुप्रीम कोर्ट जज बनाने की सिफारिश दोबारा सरकार को भेजने पर कॉलेजियम का फैसला क्यों टला?  न्यायपालिका और सरकार के बीच टकराव की वजह बन रहे इस मसले पर दिलचस्पी रखने वाले हर शख्स के मन मे ये सवाल है. बेहद उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक आज करीब 50 मिनट चली बैठक का एक बड़ा हिस्सा जस्टिस जोसेफ के मसले पर चर्चा में बीता.


पांच सदस्यीय कॉलेजियम के दो जज इस मसले पर सरकार से बात करने के पक्ष में थे. उनका कहना था कि कॉलेजियम चाहे तो दोबारा जोसेफ के नाम की सिफारिश भेज सकती है, लेकिन सरकार ने उनके नाम की सिफारिश वापस भेजते वक्त जो मसले उठाए हैं, उन पर गौर कर के फैसला लेना बेहतर होगा.


सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 10 जनवरी को जोसफ और इंदु मल्होत्रा के नाम की सिफारिश एक साथ भेजी थी. लेकिन सरकार ने पिछले हफ्ते सिर्फ इंदु मल्होत्रा के नाम को मंज़ूरी दी. जोसेफ का नाम दोबारा विचार के लिए कॉलेजियम के पास भेज दिया.


सरकार ने जोसेफ के नाम की सिफारिश वापस भेजते हुए चिट्ठी में इसके पीछे ये वजहें बताई थीं:




  • हाई कोर्ट के जजों में वरिष्ठता सूची में जोसेफ का नंबर 42वां हैं. उन्हें दरकिनार कर ये सिफारिश भेजी गई.

  • इस समय 11 हाई कोर्ट चीफ जस्टिस उनसे वरिष्ठ हैं. उन्हें भी दरकिनार किया गया.

  • केरल हाई कोर्ट से आने वाले एक जज पहले से सुप्रीम कोर्ट में हैं. कलकत्ता, राजस्थान, गुजरात, झारखंड जैसे कई हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट में कोई जज नहीं.

  • मूल रूप से केरल हाई कोर्ट के जज रहे कई लोग देश भर में कई जज हैं. अभी चार हाई कोर्ट चीफ जस्टिस हैं, जो केरल से हैं.

  • सुप्रीम कोर्ट में फिलहाल कोई भी अनुसूचित जाति/जनजाति का जज नहीं


आज कॉलेजियम की बैठक में राजस्थान, कलकत्ता और आंध्र-तेलंगाना हाई कोर्ट के 3 जजों को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाने पर भी चर्चा हुई. इससे यही लगता है कि जजों के चयन में क्षेत्रीय संतुलन की बात पर कॉलेजियम ने गौर किया है.


चूंकि, आज की बैठक बेनतीजा रही है. ऐसे में लाज़िमी है कि जल्द ही इस मसले पर कॉलेजियम की दोबारा बैठक होगी. इस वक्त सुप्रीम कोर्ट में जजों के छह पद खाली हैं. इस लिहाज़ से भी नए जजों की नियुक्ति काफी अहम है.