नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के कोलेजियम ने उत्तराखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसेफ को लेकर सरकार की चिट्ठी पर आज चर्चा की लेकिन इस पर कोई फैसला नहीं हुआ है. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और कोलेजियम के अन्य सदस्यों जस्टिस जे चेलामेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन बी लोकूर और जस्टिस कुरियन जोसेफ ने आज शाम हुई बैठक में हिस्सा लिया. इसके साथ ही कलकत्ता, राजस्थान और आंध्रप्रदेश-तेलंगाना हाई कोर्ट के तीन जजों को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाने पर भी विचार किया गया.



बता दें कि सरकार ने पिछले सप्ताह ही जस्टिस जोसेफ की फाइल लौटा दी थी. कोलेजियम ने दस जनवरी को न्यायमूर्ति जोसेफ को प्रमोशन देकर सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश बनाने और वरिष्ठ अधिवक्ता इन्दु मल्होत्रा को सीधे सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश बनाने की सिफारिश की थी.


इसके बाद सरकार ने इन्दु मल्होत्रा के नाम को मंजूरी दे दी और न्यायमूर्ति जोसेफ के नाम पर फिर से विचार के लिए उनकी फाइल लौटा दी थी. चीफ जस्टिस ने 27 अप्रैल को इन्दु मल्होत्रा को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के पद की शपथ दिलाई थी.


हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के एम जोसेफ की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने 2016 में उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने के नरेन्द्र मोदी सरकार के फैसले को निरस्त कर दिया था. सरकार ने उन्हें पदोन्नति देकर शीर्ष अदालत का न्यायाधीश बनाने पर विचार नहीं किया और कहा कि यह प्रस्ताव शीर्ष अदालत के मानदंडों के अनुरूप नहीं है.


केन्द्र ने कहा कि उच्चतर न्यायपालिका में पहले से ही केरल को पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिला हुआ है. जस्टिस जोसेफ भी केरल से ही हैं. यही नहीं, केन्द्र ने उनकी वरिष्ठता पर भी सवाल उठाते हुए कहा है कि अखिल भारतीय स्तर पर हाई कोर्ट की वरिष्ठता की सूची में उनका 42 वां स्थान है.


जस्टिस केएम जोसेफ जून के महीने में साठ साल के हो जाएंगे. वह जुलाई 2014 से उत्तराखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश है. उन्हें 14 अक्तूबर , 2004 को केरल हाई कोर्ट का स्थाई न्यायाधीश बनाया गया था. जस्टिस चेलामेश्वर , जस्टिस लोकूर और जस्टिस कुरियन सहित कोलेजियम के सदस्यों ने जस्टिस जोसेफ के नाम को मंजूरी देने हो रहे देरी पर चिंता जाहिर की थी.