नई दिल्ली: कृषि कानूनों और किसान आंदोलन से जुड़े मसले पर अध्ययन करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बनाई गई विशेषज्ञ कमेटी ने अपनी रिपोर्ट जमा करा दी है. रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में जमा कराई गई है. माना जा रहा है कि बहुत जल्द कोर्ट मामले पर आगे की सुनवाई कर सकता है.


सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर से जनवरी के बीच केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई की थी. कोर्ट ने उन याचिकाओं को भी सुना था, जिनमें आंदोलन के नाम पर बााधित दिल्ली की 3 सीमाओं को खोलने की मांग की गई थी. तब चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था कि वो सकारात्मक बातचीत के जरिए मसले के हल को उचित मानती है.


12 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने एक कमेटी का गठन कर दिया. कोर्ट ने सभी पक्षों से कहा था कि वह कमेटी के सामने अपनी बात रखें. कमेटी की रिपोर्ट को देखने के बाद मामले पर आगे सुनवाई की जाएगी. बातचीत का माहौल बनाने के लिए कोर्ट ने नए किसान कानूनों के अमल पर भी रोक लगा दी थी.


कोर्ट की तरफ से गठित 4 सदस्य कमेटी के एक सदस्य भारतीय किसान यूनियन के नेता भूपिंदर सिंह मान ने खुद को कमेटी से अलग कर दिया था. लेकिन बाकी तीन सदस्य- अशोक गुलाटी (कृषि विशेषज्ञ), अनिल घनवट (शेतकरी संगठन) और प्रमोद जोशी (खाद्य नीति विशेषज्ञ) अपना काम करते रहे.


तीनों कृषि कानूनों की वापसी पर अड़े आंदोलनकारी किसान संगठनों ने इस कमेटी से दूरी बनाए रखी. उन्होंने अपनी शिकायतें या सुझाव कमेटी को नहीं दिए. हालांकि, कमेटी की तरफ से यह कहा जा चुका है कि उसने 18 राज्यों के करीब 85 किसान संगठनों से बात की है. बताया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट की कमेटी में 19 मार्च को ही रिपोर्ट जमा करवा दी थी. इस रिपोर्ट में क्या कहा गया है, इसकी जानकारी अभी सामने नहीं आई है.


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