CM या LG में से दिल्ली का 'बॉस' कौन? सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ कल सुनाएगी फैसला
संविधान के अनुच्छेद 239 AA के तहत दिल्ली में विधानसभा का प्रावधान किया है. यहां निर्वाचित प्रतिनिधियों के ज़रिए एक सरकार का गठन होता है. उसे फैसले लेने की स्वतंत्रता मिलनी चाहिए.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट कल ये तय कर देगा कि दिल्ली का प्रशासनिक बॉस कौन है? दिल्ली-केंद्र अधिकार विवाद पर कल कोर्ट के 5 जजों की संविधान पीठ का फैसला आएगा. इससे तय हो जाएगा कि दिल्ली का कामकाज चलाने में राज्य सरकार और एलजी की क्या भूमिका है? इस मामले में संविधान पीठ ने पिछले साल 6 दिसंबर को सुनवाई पूरी की थी.
गौरतलब है कि 4 अगस्त 2016 को दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली एक केन्द्र शासित क्षेत्र है. यहां केंद्र के प्रतिनिधि उपराज्यपाल की मंजूरी से ही फैसले लिए जा सकते हैं. इस फैसले को दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
लगभग 15 दिन चली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पहली नज़र में उपराज्यपाल ही दिल्ली के प्रमुख नज़र आते हैं. लेकिन रोज़ाना के कामकाज में उनकी दखलंदाज़ी से मुश्किल आ सकती है. दिल्ली के लोगों के हित मे राज्य सरकार और एलजी को मिल कर काम करना चाहिए.
दिल्ली सरकार की दलील थी कि दिल्ली का दर्जा दूसरे केंद्रशासित क्षेत्रों से अलग है. संविधान के अनुच्छेद 239 AA के तहत दिल्ली में विधानसभा का प्रावधान किया है. यहां निर्वाचित प्रतिनिधियों के ज़रिए एक सरकार का गठन होता है. उसे फैसले लेने की स्वतंत्रता मिलनी चाहिए.
जवाब में केंद्र सरकार का कहना था कि जिस अनुच्छेद 239 AA का हवाला दिल्ली सरकार दे रही है, उसमें भी एलजी का दर्जा राज्य सरकार से ऊपर माना गया है. मंत्रिमंडल और उपराज्यपाल में किसी विषय पर मतभेद होने पर उसे राष्ट्रपति के पास भेजने की बात कही गई है. लेकिन ये साफ लिखा है कि राष्ट्रपति का निर्णय आने तक उपराज्यपाल का फैसला ही माना जाएगा.
दिल्ली सरकार ने सुनवाई के दौरान एलजी के पास ज़रूरी फाइलें लंबित होने का भी हवाला दिया. कोर्ट ने कहा कि अगर ऐसा है तो ये दिल्ली के हित में नहीं है. हालांकि, केंद्र सरकार के वकील ने दावा किया कि फाइलों को अटकाने की शिकायत सही नहीं है. एलजी सचिवालय ज़रूरी फाइलों का तेजी से निपटारा करता है.