पीएम मोदी के लोकसभा निर्वाचन को चुनौती, लगातार दूसरी बार याचिकाकर्ता के अनुरोध पर SC ने टाली सुनवाई
बीएसएफ जवानों को दिए जाने वाले खाने की शिकायत करते हुए एक वीडियो सार्वजनिक करने वाले तेज बहादुर को अनुशासनहीनता के लिए नौकरी से बर्खास्त किया गया था.
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी से चुनाव लड़ने में नाकाम रहे बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई नहीं हो सकी. तेजबहादुर के वकील ने ही सुनवाई टालने के अनुरोध करते हुए कोर्ट को चिट्ठी भेजी थी. पहले भी सुनवाई टाल चुके जजों ने दोबारा ऐसे आग्रह पर हैरानी जताई. कहा कि अब दिवाली की छुट्टी के बाद मामला सुनवाई के लिए लगाया जाएगा. तेजबहादुर ने मोदी के निर्वाचन को चुनौती देते हुए वाराणसी लोकसभा सीट पर दोबारा चुनाव की मांग की है.
बीएसएफ जवानों को दिए जाने वाले खाने की शिकायत करते हुए एक वीडियो सार्वजनिक करने वाले तेज बहादुर को अनुशासनहीनता के लिए नौकरी से बर्खास्त किया गया था. उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर नामांकन भरा. लेकिन निर्वाचन अधिकारी ने नामांकन पत्र में नौकरी से बर्खास्त होने की वजह सही न बताने के चलते उसे खारिज कर दिया था.
तेज बहादुर ने इसके खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. कहा कि उनका नामांकन खारिज होना गलत था. इसलिए, वाराणसी लोकसभा सीट का चुनाव रद्द करके वह दोबारा चुनाव होना चाहिए. 16 दिसंबर 2019 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी. हाई कोर्ट ने कहा कि किसी उम्मीदवार के निर्वाचन को चुनौती देने का अधिकार सिर्फ उस व्यक्ति को है, जिसने उस सीट से चुनाव लड़ा हो. तेज बहादुर ने चुनाव लड़ा ही नहीं, ऐसे में उनको चुनाव याचिका दाखिल करने का अधिकार नहीं है.
हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ तेजबहादुर ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की. मामला चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने लगा. पीएम की तरफ से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे मौजूद थे. लेकिन याचिकाकर्ता की तरफ से कोई नहीं था. जजों ने बताया कि उन्हें याचिकाकर्ता की तरफ से सुनवाई टालने का लिखित अनुरोध मिला है. इसलिए, मामला अब दीवाली के बाद लगेगा. इससे पहले यह मामला 22 मई को कोर्ट में लगा था. तब भी तेजबहादुर के लिखित अनुरोध पर ही सुनवाई टाली गई थी.