(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Medical PG Exam: मेडिकल की पोस्ट ग्रेजुएट परीक्षा रद्द कराने से सुप्रीम कोर्ट का इंकार, जानिए क्या कहा
सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों की याचिका खारिज कर दी है जिसमें मांग की गई थी कि मेडिकल की पीजी फाइनल ईयर की परीक्षा को रद्द या स्थगित कर दिया जाए. डॉक्टरों ने कहा था कि चूंकि उनका ज्यादातर समय कोविड-19 ड्यूटी में लग जाता है, इसलिए फाइनल ईयर की परीक्षा को रद्द या स्थगित कर दिया जाए. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों की मांग नहीं मानी.
Medical Exam 2021: सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों की इस मांग को खारिज कर दिया है जिसमें कहा गया था मेडिकल पोस्ट ग्रेजुएट की अंतिम वर्ष की परीक्षा को या तो रद्द कर दी जाए या स्थगित कर दी जाए. सुप्रीम कोर्ट में मेडिकल में पीजी कर रहे डॉक्टरों ने यह याचिका दायर की थी. परीक्षार्थियों ने मांग की थी कि चूंकि वे लोग कोविड-19 ड्यूटी में लगे हुए हैं इसलिए या तो परीक्षा को रद्द कर दी जाए या स्थगित कर दी जाए. न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति एम आर शाह की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि वह सभी विश्वविद्यालयों को PG की अंतिम वर्ष की मेडिकल परीक्षा नहीं कराने या स्थगित करने का कोई आदेश नहीं दे सकती.
हम इस मामले हस्तक्षेप नहीं कर सकते
शीर्ष अदालत ने कहा कि राष्ट्रीय चिकित्सा परिषद (NMC) ने पहले ही अप्रैल में एक परामर्श जारी कर देश में विश्वविद्यालयों को अंतिम वर्ष की परीक्षाओं की तारीख की घोषणा करते हुए कोविड-19 स्थिति को ध्यान में रखने के लिए कहा है. पीठ ने कहा, जहां तक संभव हुआ हमने हस्तक्षेप किया. AIIMS New Delhi दिल्ली द्वारा आयोजित होने वाली INI CET परीक्षा को एक महीने तक स्थगित कर दिया. इस मामले में हमने पाया कि छात्रों को तैयारी के लिए उचित समय दिए बिना परीक्षा के लिए तारीख तय करने का कोई औचित्य नहीं है. लेकिन पीजी परीक्षा स्थगित करने का कोई स्पष्ट कारण हमें नहीं मिल रहा. पीठ ने 29 डॉक्टरों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े की दलील को खारिज कर दिया. डॉक्टरों ने रिट याचिका दाखिल कर अनुरोध किया कि वे सभी विश्वविद्यालयों को निर्देश दें कि पीजी परीक्षा की तैयारी के लिए और समय दें या परीक्षा रद्द कर दें.
तैयारी के लिए कितना उचित समय हो, इसका निर्धारण हम नहीं कर सकते
पीठ ने कहा, हम नहीं जानते कि परीक्षा के लिए तैयारी करने का उचित समय कितना हो सकता है. अदालत कैसे उचित समय का फैसला कर सकती है? हर किसी का अपना-अपना उचित समय होता है. विश्वविद्यालय अपने इलाके में महामारी की स्थिति के अनुसार एनएमसी के परामर्श के आधार पर इसका फैसला करें. न्यायालय ने कहा, भारत जैसे विशाल देश में महामारी के हालात एक जैसे नहीं हो सकते. अप्रैल-मई में दिल्ली में स्थिति बहुत बुरी थी लेकिन अब हर दिन बमुश्किल 200 मामले आ रहे हैं. कर्नाटक में हालांकि स्थिति अब भी बहुत अच्छी नहीं है. इसलिए हम विश्वविद्यालयों का पक्ष सुने बिना कोई आदेश पारित नहीं कर सकते.
परीक्षा के बगैर प्रोन्नत नहीं
राष्ट्रीय चिकित्सा परिषद की ओर से पेश वकील गौरव शर्मा ने कहा कि सभी डॉक्टरों की कोविड-19 ड्यूटी नहीं है और परिषद ने अप्रैल में एक परामर्श जारी कर सभी विश्वविद्यालयों से अपने-अपने इलाकों में कोविड-19 की स्थिति को ध्यान में रखने के बाद परीक्षा कराने के लिए कहा था. हेगड़े ने कहा कि चूंकि डॉक्टर कोविड-19 ड्यूटी में लगे हैं तो वे परीक्षा के लिए तैयारी नहीं कर पाए. इस परीक्षा से वे सीनियर रेजीडेंट डॉक्टर बन जाएंगे. सुनवाई की शुरुआत में पीठ ने स्पष्ट कर दिया कि वह डॉक्टरों को परीक्षा दिए बगैर प्रोन्नत करने की अनुमति नहीं दे रही है.
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