Victoria Gauri Become Judge: वकील लक्ष्मणा विक्टोरिया गौरी अब जस्टिस लक्ष्मणा विक्टोरिया गौरी हैं. सुबह 10.35  बजे उन्होंने मद्रास हाई कोर्ट के एडिशनल जज के रूप में शपथ ली. इससे ठीक पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस नियुक्ति का विरोध करने वाली 2 याचिकाओं को सुना और उन्हें खारिज किया. इन याचिकाओं में आरोप लगाया था कि गौरी भारतीय जनता पार्टी की सदस्य रही हैं. उन्होंने इस्लाम और ईसाई धर्म के बारे में कुछ आपत्तिजनक लेख भी लिखे हैं.


जस्टिस गौरी की नियुक्ति का विरोध कर रहे वकील कल से ही जल्द सुनवाई की मांग के साथ सक्रिय थे. इस बीच केंद्र सरकार ने 13 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की तरफ से भेजी गई सिफारिश के आधार पर गौरी समेत 5 वकीलों को मद्रास हाई कोर्ट का जज बनाने की अधिसूचना जारी कर दी थी. याचिकाकर्ता पक्ष की लगातार कोशिश के बाद चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने आज सुनवाई की बात कही थी.


कब होनी थी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई?
सुप्रीम कोर्ट में आज दोपहर 12 बजे के करीब सुनवाई की उम्मीद थी, लेकिन हाई कोर्ट में शपथ ग्रह का समय सुबह 10.35 का रख दिया गया. शपथ ग्रहण के बाद किसी जज को संसद में प्रस्ताव पारित कर ही हटाया जा सकता है. ऐसे में याचिकाकर्ता अन्ना मैथ्यू और आर वगई की तरफ से एक बार फिर जल्द सुनवाई का अनुरोध किया गया. इसके बाद यह जानकारी सामने आई कि सुबह 9.15 पर चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच विशेष रूप से इस सुनवाई के लिए बैठेगी.


याचिका खारिज कर क्या बोली बेंच?
आखिरकार, सुबह 10.25 पर यानी शपथ ग्रहण से 10 मिनट पहले सुनवाई शुरू हुई. सुनवाई करने वाली बेंच जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बी आर गवई की थी. दोनों जजों ने मामले पर कोई आदेश देने से मना कर दिया. जस्टिस गवई ने कहा कि जज बनने से पहले वह खुद एक राजनीतिक पार्टी से जुड़े थे, लेकिन पिछले 20 साल में कोई उन पर भेदभाव का आरोप नहीं लगा सका है. बेंच ने जस्टिस वी आर कृष्णा अय्यर समेत कई पूर्व जजों का उदाहरण दिया जो पहले राजनीतिक दल से जुड़े थे.


याचिकाकर्ताओं के लिए पेश वरिष्ठ वकीलों राजू रामचंद्रन और आंनद ग्रोवर ने कहा कि सिर्फ राजनीतिक पार्टी से जुड़ा होना कोई मसला नहीं है. विक्टोरिया गौरी ने पहले कुछ ऐसे बयान दिए हैं जो हेट स्पीच के दायरे में आते हैं. वह शपथ लेने के अयोग्य हैं. इस पर जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि कॉलेजियम सभी सामग्री को देख कर ही निर्णय लेता है. इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट के ऐसे जज से भी राय ली जाती है जो पहले उसी हाईकोर्ट में वकील और जज रह चुके हों.


सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि एडिशनल जज का कार्यकाल 2 साल का होता है. उसके बाद ही उसे स्थायी जज बनाया जाता है. अगर कोई भी जज अपनी शपथ के मुताबिक काम नहीं करता तो बाद में कॉलेजियम उसे स्थायी जज बनने से रोक सकता है. इसलिए जज को शपथ ग्रहण से रोकने की मांग पर कोई आदेश नहीं दिया जाएगा. आखिरकार लगभग 10.40 पर सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी. हालांकि, इस सुनवाई के दौरान ही एल विक्टोरिया गौरी तय समय 10.35 पर शपथ ले चुकी थीं.


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