नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने आईएनएक्स मीडिया मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम को ईडी (एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट) की गिरफ्तारी से 5 सितंबर तक राहत दे दी है. कोर्ट ने पी चिदंबरम की अग्रिम जमानत की याचिका पर फैसला 5 सितंबर तक के लिए सुरक्षित रख लिया है. आईएनएक्स मीडिया मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पी चिदंबरम की अपील पर सुप्रीम कोर्ट पांच सितंबर को फैसला सुनायेगा.


पी चिदंबरम ने अपनी अग्रिम जमानत याचिका खारिज करने के दिल्ली हाई कोर्ट के 20 अगस्त के फैसले को चुनौती दे रखी है. आज दिए फैसले के तहत जस्टिस आर भानुमति और जस्टिस ए एस बोपन्ना की बेंच ने आईएनएक्स मीडिया मनी लॉन्ड्रिंग मामले में चिदंबरम को गिरफ्तारी से मिले संरक्षण की अवधि पांच सितंबर तक बढ़ा दी है.


इस बीच, बेंच ने ईडी को वे दस्तावेज और सामग्री सीलबंद लिफाफे में पेश करने का निर्देश दिया है जिसे वह इस मामले में न्यायालय के अवलोकन के लिये देना चाहता था. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के यह कहने पर कि हिरासत की अवधि सिर्फ सीबीआई अदालत ही बढ़ा सकती है, सुप्रीम कोर्ट ने चिदंबरम की पेशकश पर कोई टिप्पणी नहीं की.


पी चिदंबरम ने 2 सितंबर तक सीबीआई हिरासत में रहने की पेशकश की
आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में चिदंबरम ने सुप्रीम कोर्ट में 2 सितंबर यानी सोमवार तक सीबीआई हिरासत में रहने की पेशकश की लेकिन बेंच ने इस पर कोई टिप्पणी करने से इंकार कर दिया क्योंकि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का कहना था कि हिरासत की अवधि तो सिर्फ सीबीआई अदालत ही बढ़ा सकती है. शीर्ष अदालत ने कहा कि वह सिर्फ इस सवाल पर फैसला लेगी कि क्या उसे ईडी द्वारा सीलबंद लिफाफे में पेश दस्तावेजों का अवलोकन करना चाहिए.


इससे पहले, दिन में सुनवाई के दौरान ईडी की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायालय में बहस करते हुये कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग ‘समाज और राष्ट्र’ के खिलाफ अपराध है और आईएनएक्स मीडिया मनी लॉन्ड्रिंग मामले में बड़ी साजिश का पता लगाने के लिये पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम से हिरासत में पूछताछ करने की आवश्यकता है. तुषार मेहता ने बेंच से कहा कि वह फिलहाल चिदंबरम से जांच के दौरान जुटाई गई सामग्री को नहीं दिखा सकता क्योंकि धन किन-किन हाथों से गुजरा इससे जुड़े साक्ष्य को नष्ट किया जा सकता है.


उन्होंने कहा कि ‘अग्रिम जमानत के स्तर पर आरोपी को सामग्री, सूत्र और साक्ष्य दिखाने की कोई जरूरत नहीं है’जांच करना जांच एजेंसी का विशेषाधिकार वाला क्षेत्र है. उन्होंने दलील दी , ‘मनी लॉन्ड्रिंग समाज और राष्ट्र के खिलाफ अपराध है और समूची साजिश का पता लगाना जांच एजेंसी का अधिकार और कर्तव्य है.’ मेहता ने कहा कि शीर्ष अदालत लगातार कहती रही है कि आर्थिक अपराध ‘गंभीर से गंभीरतम’ प्रकृति के हैं, भले ही उनके लिये सजा कुछ भी निर्धारित हो.


मेहता ने कहा, ‘मेरे पास 2009 के बाद और अब भी (आईएनएक्स मीडिया मामले में) मनी लॉन्ड्रिंग जारी रहने की बात दर्शाने के लिये सामग्री है.’ उन्होंने कहा कि निदेशालय चिदंबरम से हिरासत में और अग्रिम जमानत के ‘सुरक्षा कवच’ के बिना पूछताछ करना चाहता है.


क्या है मामला
आईएनएक्स मीडिया प्रकरण में सीबीआई ने 15 मई 2017 को दर्ज एक एफआईआर में आरोप लगाया था कि 2007 में वित्त मंत्री चिदंबरम के कार्यकाल में आईएनएक्स मीडिया समूह को विदेश से 305 करोड़ का निवेश प्राप्त करने के लिये एफआईपीबी की मंजूरी देने में अनियमिततायें की गयीं. जांच ब्यूरो की एफआईआर के बाद ईडी ने भी 2017 में मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था.


दिल्ली हाई कोर्ट ने सीबीआई और ईडी के मामलों में चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी. चिदंबरम ने दोनों ही आदेशों को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी. लेकिन चूंकि इसके बाद चिदंबरम की गिरफ्तारी हो गयी थी, इसलिए न्यायालय ने सीबीआई के मामले में दायर अपील को निरर्थक करार देते हुये उसका निस्तारण कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट इस समय ईडी के मामले में चिदंबरम की अपील पर सुनवाई कर रहा था.