नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने नॉर्थ ईस्ट राज्यों के लोगों में सुरक्षा और समावेश की भावना बढ़ाने के लिए संयुक्त सचिव स्तर के एक अधिकारी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति गठित करने समेत कई निर्देश पारित किए. नॉर्थ ईस्ट के लोगों को नस्ली हिंसा और घृणा अपराधों का सामना करना पड़ता है.
समिति में गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव (उत्तर-पूर्व) और केंद्र सरकार द्वारा मनोनीत दो अन्य सदस्यों को नस्ली भेदभाव, नस्ली अत्याचारों, नस्ली हिंसा की घटनाओं में सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करने की शक्ति देने के अलावा इस तरह की घृणा और नस्ली अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए सुझाव देने को कहा गया है.
कोर्ट ने सरकार को यह भी निर्देश दिया कि एम पी बेजबरूआ समिति द्वारा सुझाए गए प्रभावी निगरानी तंत्र को लागू किया जाना चाहिए और ‘‘जैसा अनगिनत मौकों पर हो चुका है, उसी तरह इसे भी लंबे समय से भुलाए जा चुके अभिलेखों की धूलभरी आलमारी में नहीं छोड़ा जाना चाहिए.’’उसकी यह भी राय थी कि कानून प्रवर्तन तंत्रों को शामिल किया जाना ही समस्या का समाधान करने के लिए पर्याप्त नहीं है. उसने इस बात पर जोर दिया कि विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और शिक्षण संस्थानों, कार्यस्थलों और समाज के स्तर पर भी सोच में बदलाव आना चाहिए.