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SC ने सुशांत केस की जांच CBI को सौंपी, कहा- सच सामने आने से दिवंगत आत्मा को मिलेगी शांति
अभिनेता सुशांत सिंह ने 14 जून को मुंबई के अपने फ्लैट में संदिग्ध हालात में मृत मिले थे. मामले में मुंबई पुलिस ने दुर्घटना में मौत की शुरुआती जांच के लिए इस्तेमाल होने वाली सीआरपीसी की धारा 174 के तहत जांच की.
सुशांत सिंह राजपूत मामले में आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने आज अपना फैसला सुना दिया. सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को झटका देते हुए सुशांत मामले को सीबीआई को सौंप दिया. यहां सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, “जब सच सामने आएगा, तो सिर्फ उनको न्याय नहीं मिलेगा जो अभी जीवित हैं. इससे दुनिया छोड़ चुकी आत्मा को भी शांति मिलेगी. सत्यमेव जयते.“
इस टिप्पणी के साथ जस्टिस ऋषिकेश राय ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत सुप्रीम कोर्ट को हासिल विशेष शक्ति के तहत जांच सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया है.
अभिनेता सुशांत सिंह ने 14 जून को मुंबई के अपने फ्लैट में संदिग्ध हालात में मृत मिले थे. मामले में मुंबई पुलिस ने दुर्घटना में मौत की शुरुआती जांच के लिए इस्तेमाल होने वाली सीआरपीसी की धारा 174 के तहत जांच की. एफआईआर दर्ज नहीं की. घटना के करीब 40 दिन बाद 25 जुलाई को सुशांत के पिता ने पटना में रिया चक्रवर्ती और उससे जुड़े लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा दी. इन लोगों पर सुशांत को परेशान करने और आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया गया. बाद में बिहार सरकार की सिफारिश पर यह जांच सीबीआई को सौंप दी गई.
सुप्रीम कोर्ट में रिया चक्रवर्ती और महाराष्ट्र सरकार ने पटना में एफ आई आर दर्ज होने और उसे सीबीआई को ट्रांसफर कर देने का विरोध किया. इसे कानूनन गलत बताया. कहा कि पटना पुलिस और बिहार सरकार का इस मामले में कोई अधिकार नहीं हुई है. उन्होंने मांग की कि मुंबई पुलिस को ही जांच का जिम्मा मिलना चाहिए. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आज उनकी इस मांग को ठुकरा दिया.
कोर्ट ने अपने फैसले में यह कहा है सीआरपीसी 174 के तहत चल रही मुंबई पुलिस की शुरुआती जांच और पटना में मृतक के पिता की शिकायत पर दर्ज एफआईआर एक दूसरे से अलग हैं. मुंबई पुलिस ने कोई एफआईआर दर्ज नहीं की थी. सुशांत के पिता की तरफ से शिकायत मिलने के बाद से बाद पटना पुलिस को एफआईआर दर्ज करने का अधिकार था. इस एफआईआर के आधार पर बिहार सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश कर कुछ गलत नहीं किया.
35 पन्नों के आदेश में कोर्ट ने लिखा है, “एक बेहद प्रतिभावान अभिनेता की अचानक संदिग्ध मृत्यु हो गई. उसकी प्रतिभा के कई पहलू अभी सामने आने बाकी थे. ऐसे में उसके चाहने वाले, जानकार, दोस्त, परिवार सब चाहते हैं कि सच सामने आए. मौत की वजह को लेकर जितने भी कयास लग रहे हैं, उन पर विराम लगे. मामले में निष्पक्ष और विश्वसनीय जांच होना बहुत जरूरी है. इससे लोगों का कानूनी प्रक्रिया में भरोसा बना रहेगा. इसलिए न्याय के हित में यह कोर्ट संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत मिली शक्ति का इस्तेमाल करते हुए जांच अपनी तरफ से सीबीआई को सौंप रही है.“
कोर्ट ने अपने आदेश में इस बात को भी दर्ज किया है कि दो राज्यों के बीच अधिकार क्षेत्र को लेकर विवाद है. दोनों राज्यों के नेताओं, अधिकारियों के बीच चल रही बयानबाज़ी से न्याय कहीं दब ना जाए, इसका ध्यान रखना जरूरी है. अपनी तरफ से जांच सीबीआई को सौंपने के पीछे कोर्ट ने इसे भी एक वजह बताया है.
सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा है कि महाराष्ट्र सरकार और मुंबई पुलिस सीबीआई से जांच में पूरी तरह से सहयोग करें. कोर्ट ने कहा है कि सीबीआई मामले से जुड़े सभी पहलुओं को देखेगी. भविष्य में इस मामले पर अगर और कोई एफआईआर भी दर्ज होती है, तो उसकी जांच भी सीबीआई ही करेगी.
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विनोद बंसलवीएचपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता
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