SC Hearing On Muslim Reservation: सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम आरक्षण को लेकर होने वाली सुनवाई शीर्ष अदालत ने 25 जुलाई तक के लिए टाल दी है. इस दौरान कोर्ट ने बीजेपी नेताओं के मुस्लिम आरक्षण खत्म करने को लेकर अपनी नाराजगी जताई. अदालत के मुताबिक, जब हम मामले की सुनवाई कर रहे हैं तब आखिर कैसे उन्होंने आरक्षण को खत्म करने का बयान दे दिया. 


उच्चतम न्यायालय ने कर्नाटक में चार प्रतिशत मुस्लिम आरक्षण वापस लेने से संबंधित विचाराधीन मामले पर दिए जा रहे राजनीतिक बयानों को बेहद गंभीरता से लिया है. उच्चतम न्यायालय ने कहा, जब अदालत का आदेश होता है तो फिर उसमें कुछ पवित्रता बनाए रखने की जरूरत होती है.


क्यों स्थगित हुई मामले की सुनवाई?
न्यायालय ने कर्नाटक मुस्लिम आरक्षण मामले पर सुनवाई को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के उस अनुरोध पर स्थगित किया जिसमें उन्होंने कहा था, समलैंगिक विवाह मामले को लेकर भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है लिहाजा मामले की सुनवाई को आगे बढ़ा दिया जाए. फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने नई नीति के आधार पर नौकरी या दाखिला नहीं दिए जाने को लेकर अंतरिम आदेश जारी रखने को कहा है.


बीजेपी नेताओं ने क्या बयान दिए थे?
कर्नाटक विधानसभा चुनाव से कुछ दिन पहले, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपनी एक चुनावी रैली में कहा था, संविधान में धर्म के आधार पर आरक्षण दिए जाने को लेकर कोई प्रावधान नहीं है और मुसलमानों को दिया गया 4 प्रतिशत आरक्षण असंवैधानिक था, और इसलिए, कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने इस आरक्षण को हटा दिया.


अमित शाह ने समाचार एजेंसी एएनआई को दिए एक इंटरव्यू में कहा था, हमारे संविधान में धर्म के आधार पर आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है. आरक्षण के भीतर आरक्षण बहुत सोच-समझकर किया गया है, कर्नाटक चुनाव के लिए प्रचार समाप्त होने से पहले, सिद्धारमैया को स्पष्ट करना चाहिए कि यदि कांग्रेस मुसलमानों के लिए आरक्षण बढ़ाती है 4 प्रतिशत से 6 प्रतिशत करती है तो फिर वह किसका आरक्षण काट कर मुसलमानों का आरक्षण देने का काम करेंगे.