सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि कोविड के चलते अनाथ हुए बच्चे अपने माता-पिता की संपत्ति से वंचित न रह जाएं. कोर्ट इस तरह के बच्चों की स्थिति पर खुद संज्ञान लेकर सुनवाई कर रहा है. इससे पहले कोर्ट बच्चों की शिक्षा जारी रखने और उनकी दूसरी जरूरतों का ध्यान रखने का राज्यों को निर्देश दे चुका है.


मामले में एमिकस क्यूरी की हैसियत से कोर्ट की सहायता कर रहे वकील गौरव अग्रवाल ने आशंका जताई थी कि माता-पिता पर बकाया कर्ज़ की वसूली के लिए वित्तीय संस्थान संपत्ति पर कब्ज़ा कर सकते हैं. इसे देखते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली बेंच ने राज्यों को इस पहलू पर गौर करने के लिए कहा है.


NCPCR की तरफ से रखी गई रिपोर्ट पर हुई चर्चा


सुनवाई के दौरान राष्ट्रीय बाल अधिकार से संरक्षण आयोग (NCPCR) की तरफ से रखी गई रिपोर्ट पर भी चर्चा हुई. NCPCR ने बताया है देशभर में कोरोना के चलते 10,793 बच्चों ने दोनों अभिभावकों को खोया है. 1,51,322 बच्चों के माता-पिता में से एक की मृत्यु इस बीमारी से हुई है. आयोग ने यह भी बताया है कि राज्यों ने इन बच्चों की स्थिति जानने के लिए सोशल इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट अब तक पूरी नहीं की है. कोर्ट ने इस पर असंतोष जताते हुए राज्यों को प्रक्रिया जल्द पूरी करने के लिए कहा.


अगली सुनवाई 3 हफ्ते बाद


NCPCR ने कोर्ट को बताया कि इस तरह के बच्चों को विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए उसने अब तक राज्यों को 19,285 चिट्ठियां लिखी हैं. हालांकि अब तक उसे 920 मामलों में ही कार्रवाई की सूचना मिली है. इस पर कोर्ट ने राज्यों को निर्देश दिया कि वह अनाथ बच्चों को सरकार की योजनाओं से जोड़ने के लिए कदम उठाए. मामले की अगली सुनवाई 3 हफ्ते बाद होगी.


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