(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
उज्जैन के महाकाल मंदिर के लिए SC की गाइडलाइन्स, श्रद्धालुओं को अब शिवलिंग पर लेप की अनुमति
मध्य प्रदेश के उज्जैन के महाकाल मंदिर और शिवलिंग के संरक्षण के मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने आज इस बारे में कई निर्देश जारी किए.
उज्जैन: करोड़ों लोगों की आस्था के केंद्र उज्जैन के महाकाल मंदिर और शिवलिंग के संरक्षण के मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने कई निर्देश जारी किए. इस मामले की सुनवाई उज्जैन की ही रहने वाली श्रद्धालु सारिका की याचिका पर शुरू हुई थी. कोर्ट इससे पहले भी मामले में कई निर्देश जारी कर चुका है. आज जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच की तरफ से जारी किए गए आदेश के मुख्य बिंदु यह हैं-
(1) विशेषज्ञ कमिटी 15 दिसंबर तक शिवलिंग और मंदिर के संरक्षण पर रिपोर्ट दे. साथ ही चंद्रनागेश्वर मंदिर पर भी रिपोर्ट दी जाए.
(2) कमिटी हर साल मंदिर का सर्वे कर कोर्ट को रिपोर्ट दे.
(3) फिलहाल शिवलिंग के संरक्षण के लिए यह कदम उठाए जाएं-
* श्रद्धालुओं को शिवलिंग पर कोई भी पूजन सामग्री लेपने और रगड़ने की इजाज़त न हो.
* भस्म आरती के समय चढ़ने वाली भस्म का PH बैलेंस उचित रखा जाए.
* कमिटी शिवजी के श्रृंगार में लगने वाली मुंड माला और सर्प कर्ण का वजन और कम करने का प्रयास करे. यह भी प्रयास किया जाए कि यह सामग्री धातु की न हो या उन्हें शिवलिंग पर सीधे स्पर्श न किया जाए.
* श्रद्धालुओं को शिवलिंग पर दही, घी, मधु जैसी सामग्री के लेप से रोका जाए. सिर्फ थोड़ी मात्रा में शुद्ध दूध चढ़ाने दिया जाए. मंदिर प्रशासन शुद्ध दूध की उपलब्धता सुनिश्चित करे. दही, मधु, घी आदि का लेप सिर्फ पुजारी परंपरागत पूजा के समय करें.
* सभी पुजारी, पुरोहित, जनेउपति आदि सुनिश्चित करें कि श्रद्धालु कोई सामग्री शिवलिंग पर लेप न करें. अगर कोई श्रद्धालु ऐसा करता है तो उसे साथ लाने वाले पुरोहित को जवाबदेह माना जाएगा.
* गर्भ गृह की सारी पूजा अर्चना की 24 घंटे वीडियो रिकॉर्डिंग हो. वीडियो को 6 महीने तक सुरक्षित रखा जाए. अगर कभी कोई पुजारी, पुरोहित नियमों के खिलाफ काम करता दिखे, तो कमिटी उस पर उचित कार्रवाई करें.
* कोई श्रद्धालु शिवलिंग पर पंचामृत न उढ़ेले. इसे सिर्फ परंपरागत पूजा के समय पुजारी डालें.
(4) कमिटी कोटि तीर्थ कुंड का फिल्टर किया हुआ साफ पानी श्रद्धालुओं को उपलब्ध कराए.
(5) सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट ढांचे की सुरक्षा के लिए 6 महीने में रिपोर्ट दे. इसके लिए ज़रूरी 43 लाख रुपए का भुगतान केंद्र सरकार करे.
(6) मंदिर का मूल स्वरूप वापस लाया जाए. उसमें जोड़ी गई आधुनिक चीजों, रंग आदि को हटाया जाए.
(7) मंदिर से 500 मीटर के दायरे में अतिक्रमण हटाया जाए.
(8) कोरोना काल में भी सुनिश्चित किया जाए कि पूजा के विधि-विधान को अच्छी तरह जानने वाले वरिष्ठ पुजारी ही इसे संपन्न करें.
(9) मामला जनवरी में अगली सुनवाई के लिए लगाया जाए.