असम को भारत से काटने का भाषण देने के आरोपी शरजील इमाम की याचिका पर SC का 4 राज्यों को नोटिस
असम से भारत को काटने वाले बयान के बाद चर्चा में आए जेएनयू के छात्र शरजील इमाम के कुछ भाषणों के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे. एक भाषण उसने 13 दिसंबर को दिल्ली के जामिया इलाके में दिया था, जबकि दूसरा भाषण अलीगढ़ में 16 जनवरी को दिया था.
नई दिल्ली: देशविरोधी भाषण देने के आरोपी JNU के छात्र शरजील इमाम की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आज 4 राज्यों को नोटिस जारी किया. शरजील ने अपने खिलाफ दर्ज सभी 5 FIR की एक साथ दिल्ली में जांच की मांग की है. पहले कोर्ट ने सिर्फ दिल्ली को नोटिस जारी किया था. आज यूपी, असम, अरुणाचल और मणिपुर से भी जवाब मांगा. मामले पर 2 हफ्ते बाद सुनवाई होगी.
CAA विरोधी आंदोलन का एक प्रमुख चेहरा बन कर उभरे शरजील ने दिल्ली के जामिया यूनिवर्सिटी और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में 2 भड़काऊ भाषण दिए थे. एक भाषण में उसने पूर्वोत्तर भारत को बाकी देश से जोड़ने वाले संकरे कॉरिडोर को काट देने तक की बात कही थी. इसके लिए उस पर दिल्ली समेत 5 जगहों पर FIR दर्ज हुई. कुछ दिन फरार रहने के बाद उसे 28 जनवरी को बिहार से गिरफ्तार किया गया था. अभी वह दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद है. दिल्ली पुलिस ने शुरुआती जांच के बाद उस पर UAPA (गैरकानूनी गतिविधि निषेध अधिनियम) की धाराएं भी लगाई हैं. उसे हिंसा भड़काने की में सीधे तौर पर शामिल होने का भी आरोप लगाया गया है.
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में शरजील ने कहा है कि 2 भाषणों के लिए 5 FIR दर्ज होना उचित नहीं है. उन भाषणों को उसने इंटरनेट पर अपलोड भी नहीं किया था. उसकी दलील है कि सभी मामलों को दिल्ली ट्रांसफर कर दिया जाना चाहिए, ताकि एक साथ जांच हो सके.
इस मामले में 1 मई को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया था. आज दिल्ली सरकार के लिए पेश हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उनका जवाब तैयार है. उसे कल दाखिल कर दिया जाएगा. लेकिन बाकी राज्यों को सुने बिना आदेश जारी करना उचित नहीं होगा. उन्हें भी नोटिस जारी किया जाना चाहिए. इसका विरोध करते हुए शरजील के वकील ने अर्नब गोस्वामी केस का हवाला दिया. कहा कि उस मामले में राज्यों को नोटिस जारी किये बिना कई FIR को रद्द किया गया.
सॉलिसीटर जनरल ने कहा, “दोनों मामलों के तथ्य बिल्कुल अलग हैं. अर्नब के मामले में सभी FIR एक दूसरे की फोटोस्टेट कॉपी थे. कोर्ट ने इसलिए 1 FIR को बना रहने दिया और बाकी को निरस्त किया. यहां देशविरोधी गतिविधि की बात है. राज्यों में FIR दर्ज हुए काफी समय हो चुका है. वहां जांच चल रही है. उनका पक्ष सुन्ना ज़रूरी है.“ कोर्ट ने इससे सहमति जताते हुए 4 राज्यों को नोटिस जारी कर दिया.
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