UAPA संशोधित कानून के खिलाफ दायर याचिका पर SC ने केंद्र सरकार को भेजा नोटिस
UAPA संशोधित कानून के खिलाफ SC में दायर याचिका पर केंद्र को कोर्ट ने नोटिस जारी किया है. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि कानून में बदलाव सरकार को किसी को भी मनमाने तरीके से आतंकवादी घोषित करने का अधिकार देता है.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गैरकानूनी गतिविधि निषेध कानून यानी UAPA में हाल में हुए बदलाव के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट में UAPA संशोधित कानून के खिलाफ कई याचिकाएं दायर की गई थी. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि कानून में बदलाव सरकार को किसी को भी मनमाने तरीके से आतंकवादी घोषित करने का अधिकार देता है. इसके बाद उस व्यक्ति को कानूनी कार्रवाई का सामना करना होगा. खुद साबित करना होगा कि वो आतंकवादी नहीं है. ये समानता, स्वतंत्रता और सम्मान के मौलिक अधिकार का हनन है.
क्या है UAPA संशोधित कानून
देश में आतंकवाद की समस्या को देखते हुए, आतंकी संगठनों और आतंकवादियों की नकेल कसने के लिए UAPA बिल 2019 को मोदी सरकार ने हाल में ही सदन में मंजूरी दिलाई. मोदी सरकार ने इसे आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति को प्रदर्शित करने वाला कहा. सरकार के मुताबिक इस बिल का मकसद आतंकवाद की घटनाओं में कमी लाना, आतंकी घटनाओं की स्पीडी जांच करना और आतंकियों को जल्दी सजा दिलवाना है.
दरअसल ये देश की एकता और अखंडता पर चोट करने वाले के खिलाफ सरकार को असीमित अधिकार देती है. लेकिन इसी असीमित अधिकार की वजह से विपक्ष को लगता है कि सरकार और उसकी मशीनरी इसका गलत इस्तेमाल कर सकती है.
Supreme Court issues notice to Centre on PILs seeking direction to declare unconstitutional the Unlawful Activities (Prevention) Amendment Act, 2019, that confers power upon the Central government to designate an individual as terrorist. pic.twitter.com/UM9X07w12P
— ANI (@ANI) September 6, 2019
नए और पुराने UAPA एक्ट में क्या अंतर है?
1- कौन हो सकता है आंतकी घोषित अभी तक केवल किसी समूह को आंतकी घोषित किया जाता था जबकि नए कानून के मुताबिक आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्त होने की आशंका के आधार पर किसी अकेले व्यक्ति को भी आतंकी घोषित किया जा सकता है.
2- कैसे होगी संपत्ति जब्त दूसरा बदलाव आतंकी घोषित होने के बाद संपत्ति जब्त करने को लेकर है. पहले के कानून के मुताबिक एक जांच अधिकारी को आंतकी से संबंधित संपत्ति को जब्त करने के लिए राज्य पुलिस के महानिदेशक का परमिशन लेने की आवश्यक्ता होती थी जबकि अब नए कानून में प्रावधान हैं कि आतंकवादी गतिविधि पर संपत्ति जब्त करने से पहले एनआईए को अपने महानिदेशक से मंजूरी लेनी होगी.
3-कौन कर सकता है जांच पहले के कानून के मुताबिक उप पुलिस अधीक्षक या सहायक पुलिस आयुक्त या इससे ऊपर रैंक के अधिकारी ही मामले की जांच कर सकते हैं. जबकि नए कानून में प्रावधान है कि आतंकवाद के मामले में एनआईए का इंस्पेक्टर स्तर का अधिकारी भी जांच कर सकेगा. इसके अलावा आतंकी घोषित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद कानून के बिंदुओ को भी जोड़ा जाएगा.
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