नई दिल्ली: उत्तराखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के एम जोसफ को सुप्रीम कोर्ट जज बनाने की सिफारिश सरकार के पास दोबारा भेजी जाएगी. सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की आज हुई बैठक में सभी जज इस बात पर एकमत रहे. इस मसले पर अंतिम फैसला 16 मई को लिया जाएगा.
कॉलेजियम ने 10 जनवरी को जस्टिस जोसफ और वरिष्ठ वकील इंदु मल्होत्रा को सुप्रीम कोर्ट जज बनाने की सिफारिश एक साथ सरकार को भेजी थी. लेकिन सरकार ने 26 अप्रैल को सिर्फ इंदु मल्होत्रा के नाम को मंज़ूरी दी. जोसफ का नाम दोबारा विचार के लिए कॉलेजियम के पास भेज दिया.
कानून मंत्रालय की तरफ से भेजी गई चिट्ठी में जोसफ का नाम स्वीकार न करने के पीछे कई वजह बताई गई. चिट्ठी में कहा गया :-
* हाई कोर्ट के जजों में जोसफ वरिष्ठता के लिहाज से 42वें हैं
* 11 हाई कोर्ट चीफ जस्टिस उनसे वरिष्ठ हैं
* केरल हाई कोर्ट के एक जज पहले से सुप्रीम कोर्ट में हैं. कई हाई कोर्ट से कोई जज नहीं
* सुप्रीम कोर्ट में फिलहाल कोई भी अनुसूचित जाति/जनजाति का जज नहीं
सरकार के इस कदम को लेकर कानूनविद हैरान थे. कई वकीलों ने कॉलेजियम की तरफ से एक साथ भेजे गए नामों में से एक नाम को खारिज किए जाने की आलोचना की थी. खुद कॉलेजियम के सदस्य जज भी इस पर नाराज़ थे.
आज कॉलेजियम की बैठक में चीफ जस्टिस और बाकी 4 जजों ने सर्वसम्मति से ये तय किया कि जोसफ का नाम सरकार के पास फिर से भेजा जाएगा. हालांकि, बैठक में ये भी तय हुआ कि जोसफ के साथ कुछ और नामों की भी सिफारिश की जाएगी. बाकी नामों पर चर्चा के लिए 16 मई को बैठक होगी.
माना जा रहा है कि जजों के चयन में क्षेत्रीय संतुलन की बात पर कॉलेजियम ने गौर किया है. इसलिए, दूसरे हाई कोर्ट से भी जजों के नाम पर विचार किया जा रहा है. हालांकि, के एम जोसफ का नाम दोबारा सरकार को भेजने पर कॉलेजियम अडिग है.
मौजूदा नियमों के तहत एक सिफारिश दोबारा भेजे जाने पर उसे मानना सरकार के लिए बाध्यकारी होता है. लेकिन उस पर अमल करने को लेकर कोई समय सीमा तय नहीं है. यानी, कॉलेजियम की तरफ से जस्टिस जोसफ की सिफारिश दोबारा भेजे जाने पर सरकार उनकी नियुक्ति से मना नहीं कर सकेगी. सिर्फ नियुक्ति का नोटिफिकेशन जारी करने में देरी कर सकती है. इस वक्त सुप्रीम कोर्ट में जजों के 6 पद खाली हैं. इस लिहाज़ से नए जजों की नियुक्ति काफी अहम है.