एक्सप्लोरर
Advertisement
अब दागियों को टिकट देना होगा मुश्किल, SC ने उम्मीदवार का आपराधिक रिकॉर्ड सार्वजनिक करना अनिवार्य बनाया
कोर्ट ने यह भी कहा है कि उम्मीदवार का जिताऊ होना उसे टिकट देने का आधार नहीं हो सकता.उसकी शैक्षणिक योग्यता, अतीत में लोगों की सेवा का रिकॉर्ड जैसी बातें टिकट देने का आधार हो सकती हैं.
नई दिल्ली: अब राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों का आपराधिक रिकॉर्ड छुपा नहीं सकेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने इसे सार्वजनिक करना अनिवार्य कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि राजनीतिक पार्टियों को यह भी बताना होगा कि उन्होंने बाकी उम्मीदवारों को छोड़कर दागी को ही टिकट क्यों दिया? इस आदेश का पालन न करने को कोर्ट की अवमानना माना जाएगा.
दरअसल, कोर्ट ने 25 सितंबर 2018 को उम्मीदवारों का आपराधिक रिकॉर्ड मीडिया और पार्टी के वेबसाइट में प्रकाशित करने का आदेश दिया था, लेकिन इसका सही ढंग से पालन नहीं हुआ. याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल कर बताया था कि राजनीतिक दल और चुनाव आयोग इस आदेश का गंभीरता से पालन नहीं कर रहे हैं. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने माना था कि राजनीति में अपराधीकरण पर लगाम लगाने के लिए कदम उठाने की आवश्यकता है.
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस रोहिंटन नरीमन और एस रविंद्र भाट ने अपने आदेश में कहा है-
* राजनीतिक दलों को किसी उम्मीदवार को टिकट देने के 48 घंटे के भीतर एक क्षेत्रीय अखबार और एक राष्ट्रीय अखबार में उसके ऊपर दर्ज और चल रहे मुकदमों की जानकारी प्रकाशित करनी होगी.
* पार्टियों को टीवी चैनल पर यह जानकारी देनी होगी.
* राजनीतिक दल अपने आधिकारिक वेबसाइट और फेसबुक और ट्विटर अकाउंट पर भी इस जानकारी को डालेगा.
* इसका पालन करने के 24 घंटे में यानी उम्मीदवार को टिकट देने के 72 घंटे के भीतर पूरी जानकारी चुनाव आयोग को देनी होगी.
* राजनीतिक दल को यह भी बताना पड़ेगा कि जिस उम्मीदवार पर अपराधिक मुकदमे लंबित हैं, उसने उसी को टिकट क्यों दिया? क्या वहां पर कोई बेदाग उम्मीदवार नहीं था? टिकट पाने वाले उम्मीदवार में ऐसी क्या योग्यता है जिसके चलते उसके आपराधिक रिकॉर्ड की उपेक्षा करके उसे टिकट दिया गया?
कोर्ट ने अपने आदेश में यह साफ किया है कि अगर राजनीतिक दल इस आदेश का पालन करने में नाकाम रहते हैं, तो इसे अवमानना माना जाएगा. कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा है कि वह आदेश का पालन ना करने वाले राजनीतिक दल के बारे में सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल करें. कोर्ट पार्टी के ऊपर जरूरी कार्रवाई करेगा.
याचिकाकर्ता की मांग थी कि सुप्रीम कोर्ट चुनाव आयोग को यह निर्देश दें कि वह सिंबल ऑर्डर 1968 और संविधान के अनुच्छेद 324 के मुताबिक अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए उम्मीदवारों का आपराधिक रिकॉर्ड सार्वजनिक ना करने वाली राजनीतिक पार्टियों पर कार्रवाई करे, लेकिन कोर्ट ने इससे एक कदम आगे बढ़ते हुए मामला सीधे अपने हाथ में ले लिया है और कहा है कि चुनाव आयोग आदेश का पालन ना करने वाली पार्टी के बारे में कोर्ट को जानकारी दें. कोर्ट उसके पदाधिकारियों पर अवमानना की कार्रवाई करेगा.
सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश फिलहाल किसी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के लिए ही लागू है. निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले दागी उम्मीदवारों को लेकर आज कोर्ट ने कुछ नहीं कहा है. याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने एबीपी न्यूज़ से कहा कि वह अलग से याचिका दाखिल कर इस बात को भी रखेंगे कि कोर्ट राजनीतिक पार्टियों पर आपराधिक रिकॉर्ड वाले उम्मीदवारों को टिकट ना देने की पाबंदी लगा दे. साथ ही, इस तरह के निर्दलीय उम्मीदवारों के भी चुनाव लड़ने पर रोक लगाई जाए.
ये भी पढ़ें-
हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें ABP News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ लाइव पर पढ़ें बॉलीवुड, लाइफस्टाइल, न्यूज़ और खेल जगत, से जुड़ी ख़बरें
और देखें
Advertisement
IPL Auction 2025
Advertisement
ट्रेंडिंग न्यूज
Advertisement
टॉप हेडलाइंस
इंडिया
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड
बॉलीवुड
क्रिकेट
Advertisement