जूम ऐप पर पाबंदी की मांग पर SC का नोटिस, याचिकाकर्ता की दलील- वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के नाम पर चुराया जा रहा है निजी डेटा
जूम एक अमेरिकी ऐप है. ये ऐप 2011 में शुरू हुआ. दिसंबर 2019 तक इसके 1 करोड़ यूजर थे. जबकि मार्च 2020 में यूजर बढ़कर 20 करोड़ हो गए. सिर्फ 90 दिनों में जूम ऐप से 19 करोड़ यूजर जुड़ गए.

नई दिल्ली: वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग ऐप ज़ूम पर पाबंदी लगाने की मांग करने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है. याचिका में कहा गया है कि इस ऐप से लोगों का निजी डेटा लीक होने और उसके साइबर अपराध में इस्तेमाल होने की आशंका है.
दिल्ली के रहने वाले हर्ष चुघ नाम के याचिकाकर्ता की तरफ से दलील दी गई है कि ज़ूम ऐप के जरिए लोगों की निजी जानकारी चोरी की जा रही है. ऐप के संचालक डेटा होर्डिंग कर रहे हैं यानी लोगों की निजी जानकारी को जमा किया जा रहा है. ऐप में जानबूझकर एक बग रखा गया है, जिसके जरिए इस निजी जानकारी का लाभ साइबर क्राइम करने वाले लोग उठा सकते हैं.
याचिकाकर्ता ने जानकारी दी है कि कंप्यूटर से जुड़े मामलों में के लिए केंद्र सरकार की नोडल एजेंसी इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (CERT) ने भी ज़ूम ऐप के बारे में आगाह किया है. फिर भी इस ऐप का इस्तेमाल धड़ल्ले से हो रहा है. यहां तक कि कुछ हाई कोर्ट भी जूम ऐप के जरिए इन दिनों अपनी कार्रवाई चला रहे हैं.
याचिका में मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार को जूम ऐप की जांच करवाने को कहे. फिलहाल इस ऐप के भारत में इस्तेमाल पर पूरी तरह से रोक लगा दी जाए.
आजा मामला चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े, जस्टिस ए एस बोपन्ना और ऋषिकेश राय की बेंच में लगा. जजों ने याचिका केंद्र सरकार के वकील को सौंपते हुए मामले पर जवाब दाखिल करने को कहा है. मसले पर अगली सुनवाई 2 हफ्ते बाद होने की उम्मीद है.
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