नई दिल्ली: “ई-कॉमर्स कंपनियों को उनके पास उपलब्ध हर सामान को बनाने वाले देश की जानकारी देने के लिए बाध्य किया जाए.” यह मांग करने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है. याचिकाकर्ता की दलील है कि देश में लोग चीन में निर्मित सामानों का बहिष्कार करना चाहते हैं. स्वदेशी वस्तुओं को ही खरीदना चाहते हैं. लेकिन ई-कॉमर्स कंपनियां देश प्रेम की भावना से प्रेरित इस विचार के आड़े आ रही हैं.


सुप्रीम कोर्ट ने वकालत करने वाली याचिकाकर्ता दिव्या ज्योति सिंह ने कहा है, “देश का हर नागरिक चीनी सामान की बजाय भारत में निर्मित चीजों को अपनाना चाहता है. देश को आर्थिक मजबूती देने के लिए और आत्मनिर्भर बनाने के लिए अपने यहां निर्मित चीजों  का ही इस्तेमाल करने की अपील खुद प्रधानमंत्री ने की है. लेकिन ऐसा तभी हो सकेगा, जब लोग यह जान सकेंगे कि जिस सामान को वह खरीदने जा रहे हैं, वो किस देश में बना है?”


याचिकाकर्ता की मांग है कि कोर्ट सरकार को यह निर्देश दे कि वह ई कॉमर्स कंपनी और किसी भी उत्पाद को बेचने वालों को निर्माता देश की जानकारी लोगों को उपलब्ध कराने को कहे. यह जानकारी बिल्कुल स्पष्ट तरीके से लोगों को दिखाई पड़े, इसकी व्यवस्था की जानी चाहिए. इससे लोग किसी सामान को खरीदने पर खुद ही सोच विचार कर फैसला ले सकेंगे.


याचिका में यह सुझाव दिया गया है कि सरकार इस मसले पर नया कानून बना सकती है. अगर वह नया कानून नहीं भी बनाना चाहती, तब भी उपभोक्ता संरक्षण कानून की धारा 2 (9) में बदलाव कर लोगों किसी सामान के निर्माता देश की जानकारी लोगों को दी जा सकती है. अभी इस धारा के तहत किसी वस्तु की क्वालिटी, मात्रा,  शुद्धता और कीमत जैसी जानकारी पाना लोगों का अधिकार माना गया है. इसी धारा में सामान का निर्माण करने वाले देश की जानकारी हासिल करने को भी उपभोक्ता के अधिकार के तौर पर जोड़ा जा सकता है.


केंद्र जारी कर चुका है निर्देश


इसी तरह की मांग करने वाली एक याचिका दिल्ली हाई कोर्ट में भी लंबित है. उस याचिका के जवाब में केंद्र सरकार ने हलफनामा दायर कर बताया है कि ई-कॉमर्स कंपनियों को इस बारे में निर्देश जारी किया जा चुका है. 21 जुलाई के बाद से उन्हें हर सामान को बनाने वाले देश की जानकारी लोगों को उपलब्ध करानी होगी. केंद्र सरकार ने हाई कोर्ट को यह सुझाव भी दिया था कि वह ई-कॉमर्स कंपनियों को ‘मेड इन इंडिया’ वस्तुओं का अलग से सेक्शन बनाने के लिए निर्देश दे, ताकि भारतीय उत्पाद खरीदने के इच्छुक लोगों को इससे मदद मिल सके. ऐसे में यह उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट के नोटिस के जवाब में भी केंद्र यही बातें रखेगा. आगे होने वाली सुनवाई में कोर्ट क्या अपनी तरफ से कोई निर्देश जारी करेगा, यह देखना दिलचस्प होगा.


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