नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने निजी लैब में मुफ्त कोरोना जांच के आदेश में बदलाव कर दिया है. पिछले हफ्ते कोर्ट ने प्राइवेट लैब में कोरोना की जांच मुफ्त में करने का आदेश दिया था. लेकिन अब कहा है कि सिर्फ गरीबों की जांच मुफ्त होगी.


डॉक्टर की याचिका पर बदला आदेश


पेशे से डॉक्टर कौशल कांत मिश्रा ने सुप्रीम कोर्ट से इस आदेश में बदलाव की दरख्वास्त की थी. उनका कहना था कि देश में कोरोना टेस्ट की सुविधा पहले ही कम है. निजी लैब मुफ्त में जांच का आदेश दिए जाने के बाद जांच में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं. इसलिए, कोर्ट सिर्फ गरीबों की जांच मुफ्त करने का आदेश दे.


इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की तरफ से पेश सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, “देश में 88 फीसदी जांच सरकारी अस्पतालों में हो रही है जो कि मुफ्त है. निजी लैब में वह लोग भी जाना चाहते हैं, जिन्हें किसी डॉक्टर ने टेस्ट के लिए नहीं कहा है. लेकिन वह सावधानी के लिए टेस्ट करवाना चाहते हैं. ऐसे लोग टेस्ट के पैसे देने में सक्षम है.“


सुप्रीम कोर्ट ने इन दलीलों पर सहमति जताते हुए आदेश में बदलाव कर दिया. अब कोर्ट ने कहा है कि निजी लैब उनसे 4500 रुपए तक ले सकते हैं, जो देने में सक्षम हैं. जो लोग आयुष्मान भारत योजना के दायरे में आते हैं, सिर्फ उनकी जांच मुफ्त होगी. सरकार चाहे तो कुछ और श्रेणी के गरीबों को भी इसमें शामिल कर सकती हैं.


‘विदेशों से सबको नहीं ला सकते’


दुनिया भर में फंसे भारतीयों को वापस लाने की मांग पर कोई आदेश देने से सुप्रीम कोर्ट ने मना कर दिया है. इस मसले पर दाखिल अलग-अलग याचिकाओं में यूरोप, खाड़ी के देशों, जापान समेत कई जगहों में फंसे भारतीयों को वापस लाने की मांग की गई थी.


सुनवाई के दौरान कोर्ट ने माना कि लाखों की संख्या में विदेशों में फंसे लोगों को वापस ला पाना संभव नहीं होगा. ऐसा करने का अगर आदेश दिया गया, तो देश में कोरोना की रोकथाम को लेकर जो कदम उठाए जा रहे हैं, उन पर भी नकारात्मक असर पड़ेगा. ऐसे में कोर्ट ने कहा है- “जो जहां है, उसका वहीं रहना उचित है. अभी सबको ले आना संभव नहीं हो सकता. लोग सरकार के पास आवेदन दें. जहां संभव होगा सरकार ज़रूरी कदम लेगी. हम खुद अभी कोई आदेश नहीं देंगे.“ कोर्ट ने मामलों को लंबित रखते हुए 4 हफ्ते बाद सुनवाई की बात कही है.


निजी हॉस्पिटल को सरकारी बनाने की मांग ठुकराई


कोरोना के बेहतर इलाज के लिए देश के सभी निजी हॉस्पिटल का राष्ट्रीयकरण करने की मांग सुप्रीम कोर्ट ने ठुकरा दी है. याचिका में कहा गया था कि कोरोना महामारी की तरह फैल रहा है. इसलिए, सभी अस्पतालों पर सरकार का नियंत्रण होना चाहिए. देश के सभी निजी अस्पतालों का राष्ट्रीयकरण कर दिया जाए. कोर्ट ने याचिका को बेतुका बताते हुए कहा कि इस तरह का आदेश नहीं दिया जा सकता है.


पीएम फंड की जांच की मांग खारिज



पीएम केयर्स फंड को घोटाला बताने वाली याचिका भी आज सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की. याचिकाकर्ता मनोहर लाल शर्मा की दलील थी कि बिना किसी कानूनी प्रावधान के सरकार ने एक फंड बना दिया है. इसके जरिए लोगों से पैसा लिया जा रहा है. यह भ्रष्टाचार का मामला लगता है. इसकी जांच के लिए एसआईटी का गठन होना चाहिए. प्रधानमंत्री और गृह मंत्री प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के खिलाफ भी जांच होनी चाहिए.


कोर्ट ने इस याचिका को बेसिर-पैर का बताते हुए याचिकाकर्ता वकील मनोहर लाल शर्मा को कड़ी फटकार लगाई. चीफ जस्टिस ने शर्मा से कहा, “यह किस तरह की याचिका है? अगर आपने इस याचिका पर बहस की तो हम अदालत का समय बर्बाद करने के लिए जुर्माना लगाएंगे.“