Supreme Court: 1992 मुंबई दंगा और 1993 सीरियल ब्लास्ट मामले में सुप्रीम कोर्ट का आदेश, लापता लोगों के परिवारों को सरकार दे मुआवजा
Mumbai Serial Blast: 1992 में अयोध्या में हिंदू कारसेवकों द्वारा बाबरी विध्वंस की प्रतिक्रिया के बाद बड़े पैमाने पर दंगे हुए थे. दिसंबर 1992 और जनवरी 1993 में मुंबई दंगों में करीब 900 लोग मारे गए थे.
Mumbai News: सुप्रीम कोर्ट ने 1992 मुंबई दंगे (Mumbai Riots) और 1993 सीरियल बम ब्लास्ट मामले (Bomb Blast) में बड़ा आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इस घटना के दौरान गायब (People Missing) हुए 108 लोगों के परिवार का पता लगाने को कहा. साथ ही कोर्ट ने कहा कि उन सभी लोगों को मुआवजा दिया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने एक 3 सदस्यीय कमिटी का गठन किया है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि 9 महीने में बाकी परिवारों का पता लगाकर ब्याज के साथ सरकारी मुआवजा दे. दिसंबर 1992 से मार्च 1993 के दौरान लापता (Missing) हुए 168 लोगों में से 60 के परिवार को ही सरकारी मुआवजा मिला था.
दरअसल, साल 1992 में अयोध्या में हिंदू कारसेवकों द्वारा बाबरी विध्वंस की प्रतिक्रिया की बाद बड़े पैमाने पर दंगे हुए थे. दिसंबर 1992 और जनवरी 1993 में मुंबई दंगों में करीब 900 लोग मारे गए थे. हिंसा को बड़े पैमाने पर डी-कंपनी और उनके सहयोगियों ने भड़काया था. साथ ही उन्होंने स्थानीय मुसलमानों की मदद से इसे आयोजित गिया था. इस दंगे में आधिकारिक मौत 275 हिंदुओं, 575 मुसलमानों और 50 अन्य लोगों की हुई थी.
1993 सीरियल बम ब्लास्ट घटना को जानिए
वहीं, साल 1993 में देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में सीरियल बम ब्लास्ट (Bomb Blast) हुए थे. 12 मार्च, 1993 को मुंबई (Mumbai) में 12 स्थानों पर धमाके हुए थे. इस ब्लाट (Blast) में 257 लोग मारे गए थे जबकि 713 लोग घायल हुए थे. बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (Bombay Stock Exchange) की 28-मंजिला बिल्डिंग की बेसमेंट में धमाका हुआ था, जिसमें करीब 50 लोग मारे गए थे. इसके लगभग आधे घंटे बाद एक कार में धमाका (Car Bulst) हुआ और अगले 2 घंटे से कम वक्त में कुल 13 धमाके हो चुके थे.
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