Jammu Court: सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार से जम्मू कोर्ट में उचित वीडियो कांफ्रेंसिंग सुविधा तैयार करने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद आतंकी यासीन मलिक की वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पेशी के लिए तैयार करने को कहा है. यह पेशी रुबिया अपहरण केस और वायु सेना अधिकारी हत्या केस में होनी है. सीबीआई ने सुरक्षा कारणों से यासीन को जम्मू कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश करने का विरोध किया है.


इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली की तिहाड़ जेल में ही विशेष कोर्ट बना कर सुनवाई पर विचार करने की बात कही थी, लेकिन दोनों मामलों में यासीन के बाकी सह-आरोपियों ने दिल्ली आने का विरोध किया है. उनका कहना है कि 7 लोगों के दिल्ली आने की बजाय यासीन को जम्मू ले जाना चाहिए. सीबीआई के लिए पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सभी आरोपी मिलीभगत से काम कर रहे हैं. यासीन जम्मू जाने की मांग पर अड़ा है. बाकी आरोपी दिल्ली आने को तैयार नहीं.


SC ने जम्मू हाई कोर्ट को 17 फरवरी तक रिपोर्ट देने को कहा


मेहता की बात सुनने के बाद जस्टिस अभय एस ओका और उज्ज्वल भुइयां की बेंच ने कहा, "हमने जम्मू की विशेष कोर्ट के जज की रिपोर्ट को देखा. उनका कहना है कि उनकी कोर्ट में वीडियो कांफ्रेंसिंग सुविधा ऐसी नहीं है कि आरोपी की सही तरह से पेशी हो सके. हम हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार को जम्मू कोर्ट में ऐसी वीडियो कांफ्रेंसिंग सुविधा स्थापित करने का निर्देश दे रहे हैं जिससे आरोपी न सिर्फ पेश हो सके बल्कि उसके वकील गवाहों का क्रॉस एग्जामिनेशन भी कर सकें."


कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार को 17 फरवरी तक रिपोर्ट देने को कहा अगली सुनवाई 21 फरवरी को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार से भी कहा कि वह तिहाड़ जेल में उपलब्ध वीडियो कांफ्रेंसिंग सुविधा का मुआयना करें. अगर जरूरी हो तो उसमें सुधार करें.


2022 से सुप्रीम कोर्ट में लंबित है यासीन मलिक का मामला


आतंकी यासीन मलिक को जम्मू कोर्ट में पेश न करने को लेकर सीबीआई ने याचिका दाखिल की है. CBI ने अलग से आवेदन दाखिल कर यह भी कहा था कि दिल्ली की तिहाड़ जेल में कोर्ट की सुविधा उपलब्ध है. इसलिए मामला यहीं ट्रांसफर कर दिया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने मामले के सभी आरोपियों को पक्ष बनाने को कहा था. कोर्ट ने कहा था कि वह यह तय करेगा कि क्या जेल में ही कोर्ट बना कर सुनवाई संभव है.


सुप्रीम कोर्ट में यह मामला 2022 से लंबित है. तब सीबीआई ने जम्मू की विशेष टाडा कोर्ट के उन आदेशों को चुनौती दी थी जिनमें 2 अलग-अलग मामलों में यासीन मलिक को व्यक्तिगत रूप से पेश करने के लिए कहा गया था. जम्मू की कोर्ट ने सितंबर 2022 में यह प्रोडक्शन वारंट रुबिया सईद अपहरण केस और वायु सेना के 4 अधिकारियों की हत्या केस में जारी किए थे.


सुप्रीम कोर्ट ने 2022 में जम्मू कोर्ट के आदेश पर रोक लगाई थी


सीबीआई ने अपनी याचिका में कहा था कि दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद मलिक को सुरक्षा कारणों से जम्मू नहीं ले जाया जा सकता. सुप्रीम कोर्ट ने 2022 में ही जम्मू कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी. 21 नवंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय एस ओका और उज्ज्वल भुइयां की बेंच में हुई सुनवाई में सीबीआई और केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए.


सॉलिसिटर जनरल ने कहा यासीन मलिक कोई साधारण आतंकवादी नहीं है. उसके पाकिस्तान में बड़े संपर्क हैं. मेहता ने यह भी कहा कि मामला ऐसा नहीं है जिसमें कानून की किताबों में लिखी सारी बातों का हूबहू पालन किया जाए. CBI ने यह पेशकश की थी कि कोर्ट में यासीन मलिक के कानूनी प्रतिनिधित्व का बंदोबस्त किया जाएगा, लेकिन यासीन इसके लिए तैयार नहीं है वो खुद जम्मू जाना चाहता है.


गवाहों की सुरक्षा को लेकर सॉलिसिटर जनरल ने जताई चिंता


मेहता ने बताया था कि मामले में गवाहों की सुरक्षा को लेकर भी चिंता है. पहले एक गवाह की हत्या हो चुकी है. इस पर जजों ने कहा था कि वह जेल में ही विशेष कोर्ट बनाने पर विचार करेंगे, लेकिन इसके लिए दूसरे आरोपियों को भी सुनना होगा.


ये भी पढ़ें: Weather Forecast: यूपी और दिल्ली को लेकर मौसम विभाग की चेतावनी, सर्द हवाएं बढ़ेंगी...गिरेगा पारा, जानें उत्तर भारत में कब तक पड़ेगी ठंड