नई दिल्ली: ऑक्सीजन संकट पर दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, 'हमें पता है कि अधिकारी दिन रात काम कर रहे हैं. नोडल एजेंसी की अधिकारी ने खुद कोविड पॉजिटिव होते हुए भी कोर्ट को विस्तृत जानकारी दी थी. अधिकारियों पर अवमानना की कार्रवाई का हमारा कोई इरादा नहीं. इससे कोई मदद नहीं मिलेगी.'
सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा, हम किसी के खिलाफ यहां नहीं पहुंचे हैं. केंद्र और दिल्ली अपनी-अपनी भूमिका निभा रहे हैं. 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का आदेश हुआ था, जिसमें से 585 मीट्रिक टन ऑक्सीजन पहुंच चुकी है. शुरू में बहुत समस्या थी. अब हमारे पास पर्याप्त ऑक्सीजन है. सवाल उसके वितरण का है.
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने पूछा, 'आपने सुप्रीम कोर्ट का आदेश हाईकोर्ट में सही तरीके से क्यों नहीं रखा. किसी अधिकारी को अवमानना के लिए जेल में डालना कोई हल नहीं. इससे ऑक्सीजन नहीं आने लग जाएगा. यह मिलकर काम करने का समय है.' जस्टिस शाह ने केंद्र से कहा, 'कृपया बताएं कि ऑक्सीजन की समस्या हल करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं? आप अपनी योजना बताइए. हमें यह भी देखना होगा कि दूसरे राज्यों के साथ नाइंसाफी न हो. कोई भी इसपर बहस नहीं कर सकता कि ऑक्सीजन की कमी के कारण कुछ की मृत्यु हो गई. यह राष्ट्रीय आपातकाल है.'
दिल्ली हाईकोर्ट ने कल क्या कहा था
दिल्ली में ऑक्सीजन संकट और कोविड संबंधी मुद्दों पर पीठ ने कल करीब पांच घंटे तक सुनवाई की थी. पीठ ने कहा था, 'हम हर दिन इस खौफनाक हकीकत को देख रहे हैं कि लोगों को अस्पतालों में ऑक्सीजन या आईसीयू बेड नहीं मिल रहे, कम गैस आपूर्ति के कारण बेड की संख्या घटा दी गयी है.'
पीठ ने कहा था, 'लिहाजा, हम केंद्र सरकार को कारण बताने को कह रहे हैं कि मई के हमारे आदेश और सुप्रीम कोर्ट के 30 अप्रैल के आदेश की तामील नहीं करने के लिए क्यों नहीं अवमानना कार्यवाही शुरू की जाए. नोटिस का जवाब देने के लिए हम पीयूष गोयल और सुमित्रा डावरा (केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारी) को कल उपस्थित होने का निर्देश देते हैं.'
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