नई दिल्ली: दिल्ली की सीमा पर जमे किसानों को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल हुई है. याचिका में बताया गया है कि प्रदर्शन सार्वजनिक सड़क को बाधित कर किया जा रहा है. जबकि सुप्रीम कोर्ट इससे पहले मना कर चुका है. कोरोना महामारी के दौरान इस तरह से लोगों का जमा होना गंभीर खतरे की भी वजह बन सकता है.
कानून के छात्र ऋषभ शर्मा की तरफ से दाखिल याचिका में शाहीन बाग मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया गया है. इस फैसले में कोर्ट ने यह कहा था कि कोई भी आंदोलन या प्रदर्शन सार्वजनिक सड़क को अनिश्चितकाल तक बाधित करके नहीं किया जा सकता है. इस तरह का प्रदर्शन प्रशासन की तरफ से जगह पर ही होना चाहिए. याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया है कि सरकार ने आंदोलन के लिए जगह तय की, लेकिन प्रदर्शनकारी वहां जाने को तैयार नहीं है. उन्होंने अलग-अलग राज्यों से लगने वाली दिल्ली की कई सीमाओं को बंद कर दिया है.
याचिकाकर्ता ने मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र, दिल्ली, यूपी और हरियाणा की सरकार को तुरंत अपने पुराने फैसले का पालन सुनिश्चित करने के लिए कहे. सभी प्रदर्शनकारियों को सड़क से हटाकर आंदोलन के लिए तय जगह पर भेजा जाए. याचिका में दिल्ली और आसपास के इलाकों में कोरोना के बिगड़े हालात का भी हवाला दिया गया है.
याचिका में बताया गया है कि दिल्ली में कोरोना के मद्देनजर 50 से ज्यादा लोगों के जमावड़े वाले किसी भी कार्यक्रम को अनुमति नहीं दी जा रही है. लेकिन दिल्ली की सीमाओं पर तीन लाख से ज्यादा किसान जमा हो गए. यह स्वास्थ्य के गंभीर खतरे को जन्म दे सकता है. सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है.
कोर्ट से मामले में तुरंत दखल देने की अपील करते हुए याचिका में कहा गया है कि सभी प्रदर्शनकारियों को न सिर्फ सरकार की तरफ से कई जगह पर भेजा जाए, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया जाए कि आंदोलन के दौरान कोरोना से जुड़े सभी प्रोटोकॉल का पालन हो. लोग एक दूसरे से पर्याप्त दूरी पर बैठें, मास्क-सैनिटाइजर आदि का इस्तेमाल करते रहें. याचिका आज ही दाखिल हुई है. अभी तय नहीं है कि सुनवाई के लिए कब लगेगी.