मध्य प्रदेश: यौन उत्पीड़न के मामलों में आरोपी को जमानत देते समय कोर्ट से रखी जाने वाली शर्तों पर सुप्रीम कोर्ट ने एटॉर्नी जनरल से सलाह मांगी है. कुछ महिला वकीलों ने याचिका दायर कर कहा था कि निचली अदालतें और हाई कोर्ट कई बार ऐसी शर्त रखती हैं जो अपराध की गंभीरता को कम करती हैं. पीड़िता की तकलीफ को और बढ़ाती हैं.
इन वकीलों ने मध्य प्रदेश के एक मामले का हवाला दिया था, इस मामले में कोर्ट ने आरोपी को जमानत देते समय पीड़िता के घर जाकर राखी बंधवाने के लिए कहा था. कोर्ट ने कहा था कि आरोपी पीड़िता के घर मिठाई का डिब्बा और शगुन के पैसे लेकर जाए. उससे राखी बांधने का आग्रह करे.
9 महिला वकीलों ने शर्तों पर एतराज जताते हुए दाखिल की याचिका
अपर्णा भट्ट समेत सुप्रीम कोर्ट की 9 महिला वकीलों ने इस तरह की शर्तों पर एतराज़ जताते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. उनका कहना था कि यौन उत्पीड़न एक गंभीर मसला है. कई बार महिला रिपोर्ट करने की हिम्मत तक नहीं जुटा पाती. रिपोर्ट करने के बाद भी वह मानसिक कष्ट में होती है. इस तरह की अजीब शर्त पर आरोपी की रिहाई अपराध की गंभीरता को घटाने वाली है.
महिला वकीलों का यह भी कहना था कि शिकायतकर्ता जिस व्यक्ति से परेशान है, उससे मिलने के लिए बाध्य करना उसकी तकलीफ को और बढ़ाती है. आज यह मामला जस्टिस ए एम खानविलकर और बी आर गवई की बेंच में लगा. जजों ने इस पर विचार को ज़रूरी समझा और एटॉर्नी जनरल से आग्रह किया कि वह इस मसले पर कोर्ट की सहायता करें. मामले पर अगली सुनवाई 2 नवंबर को होगी.
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