SC Quashes indefinite Suspension of 12 BJP MLAs: सुप्रीम कोर्ट ने आज महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर को बड़ा झटका देते हुए 12 BJP विधायकों को सस्पेंड करने का फैसला रद्द कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बीजेपी विधायकों को जुलाई 2021 में हुए विधानसभा सत्र की शेष अवधि के बाद तक के लिए निलंबित करने का प्रस्ताव ‘असंवैधानिक’ और ‘तर्कहीन’ है. सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने ट्विटर पर ‘सत्यमेव जयते’ लिखा है. जानिए किसने क्या कहा.


देवेंद्र फडणवीस ने क्या कहा?


देवेंद्र फडणवीस ने कहा, ‘’हमारे 12 विधायकों के निलंबन को रद्द करने के ऐतिहासिक निर्णय के लिए हम माननीय सुप्रीम कोर्ट का स्वागत और धन्यवाद करते हैं. हम शुरू से ही कह रहे थे कि हमारे विधायकों को इतनी लंबी अवधि के लिए निलंबित करना पूरी तरह से असंवैधानिक और सत्ता का घोर दुरुपयोग था. और वह भी बिना किसी वैध कारण के. माननीय एससी ने हमारे रुख को बरकरार रखा है.’’ उन्होंने कहा, ‘’सवाल सिर्फ 12 विधायकों का नहीं, बल्कि इन 12 निर्वाचन क्षेत्रों के 50 लाख से ज्यादा नागरिकों का था.’’






नवाब मलिक ने क्या कहा?


वहीं, उद्धव सरकार में मंत्री और एनसीपी के वरिष्ठ नेता नवाब मलिक ने कहा है, ‘’बीजेपी के 12 निलंबित विधायक को के संबंध में सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला आया है, उसकी ऑर्डर कॉपी विधानमंडल सचिवालय को अभी मिली नहीं है. मिलने के बाद उसका अवलोकन किया जाएगा. उस पर अंतिम निर्णय अध्यक्ष महोदय लेंगे. विधानसभा का अधिकार अंतिम है या उस पर कोर्ट का निर्णय लागू होता है. इन सब पर विचार होकर फैसला होगा.’’


राकेश सिन्हा ने क्या कहा?


वहीं, बीजेपी के राज्यसभा सासंद राकेश सिन्हा ने कहा, ‘’सुप्रीम कोर्ट का फैसला दिखाता है कि महाराष्ट्र विधानसभा में किस तरह से विपक्ष की आवाज को दबाने की कोशिश की गई थी और असंवैधानिक काम किया गया था. महाराष्ट्र की उद्धव, शरद पवार और सोनिया सरकार मिलकर कोशिश कर रही थी कि बीजेपी की आवाज को दबाया जा सके, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने उनको करारा जवाब दिया है.’’


सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?


न्यायमूर्ति एएम खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की पीठ ने कहा, ‘‘ हमें इन रिट याचिकाओं को स्वीकार करने में कोई संकोच नहीं है और जुलाई 2021 में हुए संबंधित मानसून सत्र की शेष अवधि के बाद तक के लिए इन सदस्यों को निलंबित करने वाला प्रस्ताव कानून की नजर में असंवैधानिक, काफी हद तक अवैध और तर्कहीन है.’’ पीठ ने कहा कि अत:, इस प्रस्ताव को कानून में निष्प्रभावी घोषित किया जाता है, क्योंकि यह उस सत्र की अवधि के बाद तक के लिए था, जिसमें यह प्रस्ताव पारित हुआ था.


विधायकों ने दी थी प्रस्ताव को अदालत में चुनौती


निलंबित किए गए 12 सदस्य संजय कुटे, आशीष शेलार, अभिमन्यु पवार, गिरीश महाजन, अतुल भातखलकर, पराग अलवानी, हरीश पिंपले, योगेश सागर, जय कुमार रावत, नारायण कुचे, राम सतपुते और बंटी भांगड़िया हैं. इन विधायकों ने इस प्रस्ताव को अदालत में चुनौती दी थी.


क्या हुआ था विधानसभा में?


राज्य सरकार ने आरोप लगाया था कि विधानसभा अध्यक्ष के कक्ष में पांच जुलाई, 2021 को पीठासीन अधिकारी भास्कर जाधव के साथ इन 12 विधायकों ने कथित रूप से दुर्व्यवहार किया था. इन विधायकों को निलंबित करने का प्रस्ताव राज्य के संसदीय कार्य मंत्री अनिल परब ने पेश किया था और ध्वनि मत से इसे पारित कर दिया गया था.


यह भी पढ़ें-


NCC Event: एनसीसी टुकड़ियों के मार्च पास्ट का पीएम मोदी ने किया निरीक्षण, करियप्पा ग्राउंड में दिया गया गॉर्ड ऑफ ऑनर


UP Election: सीएम योगी का सपा पर बड़ा हमला, कहा- वे थे तो रामभक्तों पर गोलियां चलीं, हम हैं तो राम मंदिर का सपना सच हुआ