नई दिल्ली: साध्वी रेप केस में राम रहीम दोषी ठहराए गए हैं. आज उनकी सजा का भी ऐलान होगा लेकिन इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने आसाराम बलात्कार केस को लेकर गुजरात सरकार को फटकार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने आसाराम बापू के खिलाफ बलात्कार मामले की धीमी जांच को लेकर गुजरात सरकार से आज सवाल पूछा है. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि आखिर इस मामले में अब तक पीड़ित का बयान क्यों नहीं दर्ज किया गया है.
न्यायमूर्ति एन वी रामन्ना और न्यायमूर्ति अमिताभ रॉय की पीठ ने राज्य सरकार से सवाल किया कि पीड़ित से अभी तक पूछताछ क्यों नहीं की गई. पीठ ने राज्य सरकार को इस संबंध में शपथपत्र दायर करने का निर्देश दिया और मामले की आगे की सुनवाई दीपावली के बाद के लिए स्थगित कर दी.
न्यायालय ने 12 अप्रैल को गुजरात में निचली अदालत को निर्देश दिया था कि यौन हिंसा के मामले में सूरत की दो बहनों द्वारा आसाराम के खिलाफ दर्ज कराये गये मामले में अभियोजन के गवाहों के साक्ष्य दर्ज करने की प्रक्रिया तेज की जाये.
न्यायालय ने सूरत की अदालत को निर्देश दिया था कि कथित बलात्कार की पीडितों सहित अभियोजन के शेष 46 गवाहों के बयान दर्ज किये जाएं.
इससे पहले, शीर्ष अदालत ने राजस्थान और गुजरात में दर्ज यौन हिंसा के दो अलग अलग मामलों में आसाराम को जमानत देने से इन्कार कर दिया था.
शीर्ष अदालत ने 30 जनवरी को आसाराम की जमानत याचिका खारिज करते हुये टिप्पणी की थी कि उन्होंने जमानत के लिये न्यायालय के समक्ष ‘फर्जी दस्तावेज’ पेश किये. न्यायालय ने इस मामले में इन दस्तावेज को तैयार करने और कथित फर्जी दस्तावेज दाखिल करने वालों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था. सूरत की दो बहनों ने आसाराम और उनके पुत्र नारायण साई के खिलाफ अलग अलग शिकायतों में बलात्कार और गैर कानूनी तरीके से बंधक बनाने सहित कई आरोप लगाये थे. बड़ी बहन ने आरोप लगाया था कि अहमदाबाद के निकट स्थित आश्रम में वर्ष 2001 से 2006 में प्रवास के दौरान आसाराम ने उसका यौन शोषण किया था.
राजस्थान के मामले में एक किशोरी ने आसाराम पर आरोप लगाया था कि उन्होंने जोधपुर के निकट मनाई गांव में स्थित अपने आश्रम में उसका यौन शोषण किया. उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर की रहने वाली यह किशोरी छात्रा थी और आश्रम में ही रह रही थी.
आसाराम को जोधपुर पुलिस ने 31 अगस्त 2013 को गिरफ्तार किया था और तभी से वह जेल में हैं.