नई दिल्लीः नोएडा में लोगों को होम क्वारंटीन में रहने की इजाजत नहीं दिए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया है. कोर्ट ने जानना चाहा है कि नोएडा में राष्ट्रीय गाइडलाइंस के विपरीत फैसला क्यों लिया गया है? कोर्ट ने यह सवाल उस मामले की सुनवाई में किया जिसमें एनसीआर के शहरों में लोगों की आवाजाही आसान किए जाने की मांग की गई है.
दरअसल, यूपी सरकार ने कोरोना संक्रमण के मामले में दिल्ली की स्थिति नोएडा और गाजियाबाद से बहुत बुरी बताते हुए आवाजाही पूरी तरह से खोलने पर एतराज किया था. इसी क्रम में उसकी तरफ से दलील दी गई थी कि नोएडा में अभी भी लोगों को क्वारंटीन सेंटर में रखा जा रहा है. दिल्ली की तरह घर पर क्वारंटीन नहीं रहने दिया जा रहा है.
4 जून को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर के शहरों में लोगों को आवाजाही में हो रही है दिक्कत पर संज्ञान लिया था. कोर्ट में दाखिल याचिका में यह बताया गया था कि एक दूसरे से सटे इन शहरों में लाखों लोग रोजाना रोजगार और ज़रूरी कामकाज के सिलसिले में आवाजाही करते हैं. लेकिन इन शहरों के 3 राज्यों में होने की वजह से उन्हें खासी दिक्कत हो रही है. राज्य सरकारों की नीतियों में समानता नहीं है. तब कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि वह तीनों राज्यों की एक बैठक आयोजित करे, जिसमें समान नीति बनाने पर सहमति हो. एक कॉमन पोर्टल विकसित किया जाए जिसके जरिए लोग ई-पास के लिए आवेदन दे सकें. यह पास तीनों राज्यों में मान्य हो.
आज केंद्र सरकार ने बताया कि कोर्ट के आदेश के मुताबिक तीनों राज्यों के अधिकारियों की बैठक करवाई गई. दिल्ली और हरियाणा में लोगों की आवाजाही में कोई दिक्कत नहीं है. दोनों राज्यों का बॉर्डर पूरी तरह से खोल दिया गया है. लेकिन उत्तर प्रदेश दिल्ली से लगती सीमा को पूरी तरह से खोलने को तैयार नहीं है.
यूपी की तरफ से पेश वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि राज्य के 2 शहर गाज़ियाबाद और नोएडा दिल्ली से सटे हुए हैं. इन दोनों शहरों को मिलाकर कोरोना संक्रमित लोगों की जितनी संख्या है, उस से 40 गुना ज्यादा दिल्ली में है. इसलिए, आवश्यक सेवा से जुड़े लोगों को तो दिल्ली से नोएडा और गाजियाबाद आने की अनुमति दी जा रही है, लेकिन सीमा को अभी पूरी तरह से नहीं खोला जा सकता.
इसी सुनवाई के दौरान यूपी के वकील ने यह भी बताया की क्वारंटीन को लेकर दिल्ली और नोएडा में अलग-अलग नियम हैं. जिन लोगों के बीमार होने का खतरा है उन लोगों को नोएडा में क्वारंटीन सेंटर में रखा जाता है. जबकि दिल्ली में लोगों को अपने घर पर रहने की इजाजत दी जा रही है. इसके बाद सुनवाई का रूख ही बदल गया. जजों ने पूछा कि जब राष्ट्रीय गाइडलाइंस में होम क्वारन्टीन की इजाज़त दी गई है, तब नोएडा में इससे अलग फैसला क्यों लिया गया? मामले के याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि यूपी के दूसरे शहरों में भी होम क्वारंटीन की इजाजत दी जा रही है. लेकिन नोएडा का प्रशासन ऐसा नहीं कर रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को मामले पर जवाब देने का निर्देश देते हुए कहा, "क्वारंटीन से जुड़े नियम का औचित्य हलफनामे में साबित नहीं हो पाया, तो उसे निरस्त भी किया जा सकता है."