नई दिल्ली: ईसाई समुदाय में प्रचलित कन्फेशन की व्यवस्था को ब्लैकमेल और शोषण का जरिया बनाने की शिकायत पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है. याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया है कि मालंकरा ऑर्थोडॉक्स सीरियन चर्च में लोगों को पादरी के सामने अपनी गोपनीय बातें बताने को बाध्य किया जाता है. इस तरह की कई घटनाएं सामने आई हैं जहां पादरी ने इन जानकारियों को लोगों को ब्लैकमेल करने और महिलाओं का यौन शोषण करने के लिए इस्तेमाल किया.


कन्फेशन को अनिवार्य धार्मिक नियम बताया जाता है- अनुयायी


मामले के याचिकाकर्ता मैथ्यू टी मैथाचन, पी जे शाजी और सी वी जोस मालंकरा ऑर्थोडॉक्स चर्च के ही अनुयायी हैं. उन्होंने बताया है कि इस चर्च में कन्फेशन को अनिवार्य धार्मिक नियम बताया जाता है. इसकी वजह से चर्च के अनुयायी अपनी गोपनीय बातें पादरी को बताने के लिए बाध्य होते हैं. यह व्यवस्था सीधे-सीधे सम्मान से जीने के मौलिक अधिकार का हनन है. साथ ही किसी को अपने ही खिलाफ बयान देने के लिए बाध्य न करने के मौलिक अधिकार का भी उल्लंघन है.


पादरी और चर्च से जुड़े लोगों ने ब्लैकमेल कर महिलाओं का यौन शोषण किया


याचिकाकर्ताओं ने बताया है कि ऐसी कई घटनाएं हुई हैं जहां कन्फेशन में बताई गई बातों का दुरुपयोग हुआ. पादरी और चर्च से जुड़े लोगों ने ब्लैकमेल कर के पुरुषों का आर्थिक शोषण और महिलाओं का यौन शोषण किया हो. यौन शोषण के गंभीर आरोप झेल रहे बिशप फ्रैंको मुलक्कल भी इसी चर्च से जुड़े हैं. राष्ट्रीय महिला आयोग भी इस व्यवस्था को खत्म करने की पैरवी कर चुका है. लेकिन अब तक ऐसा नहीं हो पाया है. धर्म को ढाल बना कर लोगों के संवैधानिक हक को छीना जा रहा है. आज थोड़ी देर की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, केरल सरकार और मालंकरा ऑर्थोडॉक्स सीरियन चर्च को नोटिस जारी कर दिया.


यह भी पढ़ें.


केंद्र और बंगाल सरकार में ठनी, गृह मंत्रालय 5 अधिकारियों पर एक्शन की तैयारी में, सीएम ममता ने भी उठाया ये कदम


मध्य प्रदेश: कमलनाथ ने दिए राजनीति से संन्यास लेने के संकेत, समर्थकों के सामने कही ये बात