नई दिल्ली:  गुजरात विधानसभा चुनाव की मतगणना प्रक्रिया में दखल देने से सुप्रीम कोर्ट ने मना कर दिया है. गुजरात प्रदेश कांग्रेस के सचिव मोहम्मद आरिफ राजपूत ने कम से कम 25 फीसदी VVPAT पर्चियों का EVM में पड़े वोट से मिलान करने की मांग की थी. इससे पहले गुजरात हाई कोर्ट भी इस मांग को ठुकरा चुका है.


आज सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि अभी चुनाव प्रक्रिया जारी है. चुनाव आयोग अपने मौजूदा नियमों के आधार पर इसे पूरा कर रहा है. अभी अदालत इस प्रक्रिया में दखल नहीं देगी.


याचिकाकर्ता के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि चुनाव आयोग ने खुद ये कहा है कि वो हर निर्वाचन क्षेत्र के एक बूथ में ईवीएम और वीवीपैट का मिलान करेगा. लेकिन ये संख्या बहुत कम है. एक निर्वाचन क्षेत्र में सैंकड़ों बूथ होते हैं. मिलान की प्रक्रिया को कम से कम 20 या 25 फीसदी बूथ के लिए लागू करना चाहिए.


इस पर कोर्ट ने कहा कि आयोग को अपने नियमों के आधार पर चुनाव करवाने का अधिकार है. उसने मतगणना को विश्वसनीय बनाने के लिए एक बूथ में पर्ची और मशीन के मिलान की बात कही है. पहली नज़र में ऐसा नहीं लगता कि इसमें कुछ गलत या मनमाना है.


कोर्ट ने कहा कि चुनाव से जुड़े नियम हर उम्मीदवार को अधिकार देते हैं कि वो मतगणना के बारे में कोई शिकायत रिटर्निंग ऑफिसर के सामने रख सकते हैं. अगर रिटर्निंग ऑफिसर चाहे तो दोबारा मतगणना करवा सकता है. ऐसे में इस वक्त हम दो दिन बाद होने वाली मतगणना में कोई दखल नहीं देना चाहते.


कोर्ट ने कहा कि चुनाव सुधार एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है. हम भविष्य में चुनाव को और बेहतर बनाने पर सुनवाई कर सकते हैं. अगर याचिकाकर्ता चाहे तो तो बाद में इस मसले पर अलग से याचिका दाखिल करें.