सुशांत सिंह मौत मामले की सीबीआई जांच की मांग पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने मना कर दिया है. जनहित याचिका दाखिल करने वाली याचिकाकर्ता से कोर्ट ने कहा, “मामले से आप का कोई संबंध नहीं है. फिर भी अगर आपके पास कहने के लिए कोई ठोस बात है तो उसे मुंबई हाई कोर्ट में रखिए.“


बिहार की रहने वाली अलका प्रिया नाम की सामाजिक कार्यकर्ता ने सुशांत की मौत से जुड़ी परिस्थितियों को संदिग्ध बताया था. उनकी याचिका में मुंबई पुलिस की तरफ से की जा रही जांच को नाकाफी बताते हुए सीबीआई जांच की मांग की गई थी. याचिका सुनवाई के लिए चीफ जस्टिस एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली बेंच में लगी. बेंच ने अनुच्छेद 32 के तहत सीधे सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई इस याचिका को सुनने से मना कर दिया.


चीफ जस्टिस ने कहा, “पुलिस को अपना काम करने दीजिए. आपका इस मामले से कोई सीधा संबंध नहीं है.“ इस पर याचिकाकर्ता की तरफ से पेश वकील के बी उपाध्याय ने कहा, “सुशांत एक बहुत अच्छे इंसान थे. उन्होंने कई गरीब बच्चों को अपने खर्चे पर पढ़ने के लिए नासा भेजा था.“ इस पर चीफ जस्टिस ने कहा, “सवाल यह नहीं है कि कोई व्यक्ति अच्छा था या बुरा. सवाल क्षेत्र अधिकार का है. हमें नहीं लगता कि इस मामले पर सीधे सुप्रीम कोर्ट को सुनवाई करनी चाहिए.“


बॉम्बे HC कर सकता है विचार


याचिका पर सुनवाई से मना करते हुए जजों ने कहा कि अगर याचिकाकर्ता के पास कहने को कोई ठोस बात है तो उसे बॉम्बे हाई कोर्ट में जाकर अपनी बात रखनी चाहिए. इस बीच दिल्ली के रहने वाले एक वकील सार्थक नायक ने पहले ही मुंबई हाई कोर्ट को एक लेटर पेटिशन भेजकर मामले की जांच किसी निष्पक्ष एजेंसी को सौंपने की मांग की है. इस याचिका में यह भी कहा गया है कि हाई कोर्ट एसआईटी का गठन कर अपनी निगरानी में जांच करवाने पर भी विचार करे. हाईकोर्ट ने अभी इस याचिका पर कोई सुनवाई नहीं की है.


रिया चक्रवर्ती की SC में याचिका


दिवंगत अभिनेता की गर्लफ्रेंड रही अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर अपने खिलाफ सुशांत के पिता की तरफ से पटना में दर्ज करवाई गई FIR को मुंबई ट्रांसफर करने की मांग की है. उनका कहना है कि जांच पहले से मुंबई में की जा रही है. बिहार की पुलिस मुंबई में हुई किसी घटना की जांच नहीं कर सकती है. सुशांत के परिवार ने भी मामले में कैविएट दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट से दरख्वास्त की है कि उसका पक्ष सुने बिना रिया की अर्जी पर कोई आदेश न दिया जाए.