नई दिल्लीः पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री चिन्मयानंद को बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने बलात्कार के आरोपी चिन्मयानंद को इलाहाबाद हाई कोर्ट से मिली जमानत रद्द करने से मना कर दिया है. हालांकि, कोर्ट ने मुकदमे की सुनवाई यूपी से दिल्ली ट्रांसफर करने की मांग पर नोटिस जारी किया है.


पिछले साल अगस्त में यूपी के शाहजहांपुर में चिन्मयानंद के ट्रस्ट की तरफ से चलाए जाने वाले कॉलेज में लॉ की पढ़ाई कर रही एक छात्रा ने उन पर यौन शोषण का आरोप लगाया था. इसके बाद सितंबर में चिन्मयानंद की गिरफ्तारी हुई थी. जांच के क्रम में यह बात सामने निकलकर आई कि छात्रा और उसका एक दोस्त चिन्मयानंद को काफी समय से ब्लैकमेल कर रहे थे.


चिन्मयानंद की शिकायत पर पुलिस ने छात्रा पर 5 करोड़ रुपए के लिए ब्लैकमेल करने की FIR दर्ज की थी. यह मुकदमा अलग से चल रहा है. 3 फरवरी को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने चिन्मयानंद को जमानत दे दी थी. हाई कोर्ट ने अपने आदेश में लिखा था, 'इस मामले में दोनों ही लोगों ने एक दूसरे का इस्तेमाल किया. यह कहना मुश्किल है कि किसने किसका शोषण किया है?'


हाईकोर्ट के आदेश के बाद महिला ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. उसका कहना था की चिन्मयानंद के बाहर रहने से उसकी जान को खतरा है. इसलिए सुप्रीम कोर्ट उनकी जमानत को रद्द कर दे. छात्रा ने यह मांग भी की थी कि मुकदमे को यूपी से दिल्ली ट्रांसफर कर दिया जाए.


आज यह मामला जस्टिस अशोक भूषण और नवीन सिन्हा की बेंच में लगा. छात्रा की तरफ से वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने दलीलें रखीं. उन्होंने कहा कि चिन्मयानंद जैसे प्रभावशाली व्यक्ति का बाहर रहना छात्रा की सुरक्षा को खतरा पैदा कर सकता है. इसका विरोध करते हुए चिन्मयानंद के वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा, 'आरोप लगाने वाली महिला को लंबे अरसे से पुलिस सुरक्षा हासिल है. उसके घर पर पुलिस के जवान तैनात रहते हैं. वह जब बाहर जाती है, तब भी उसकी सुरक्षा में पुलिस मौजूद रहती है.' लूथरा की बात पर सहमति जताते हुए जजों ने कहा, 'हाईकोर्ट ने इस पहलू पर ध्यान दिया है. याचिकाकर्ता की सुरक्षा का उचित बंदोबस्त किया है.'


इसके बाद छात्रा ने पूरे मामले की जांच कर रही SIT के अधिकारियों पर परेशान करने का आरोप लगाया. लेकिन जज इससे भी प्रभावित नजर नहीं आए. उन्होंने कहा, 'अगर वाकई आपको परेशान किया गया है तो आप किसी मजिस्ट्रेट के पास शिकायत कर सकती हैं. वैसे भी जांच की निगरानी हाई कोर्ट कर रहा है. हाई कोर्ट को भी जानकारी दी जा सकती है.'


छात्रा की ओर से यह आरोप लगाया गया कि SIT वीडियो सबूतों को नहीं जुटा रही है. सबूतों से छेड़छाड़ की गई है. इस पर दखल देते हुए चिन्मयानंद के वकील ने कहा, 'वीडियो सबूत नष्ट करने का आरोप भी इन पर ही है. चिन्मयानंद को ब्लैकमेल किया जा रहा था. उसके सबूत मिटाने के लिए इन्होंने ही वीडियो नष्ट किया.'


इस पर सुप्रीम कोर्ट के जजों का कहना था, 'याचिका में कोई भी ऐसी दलील नहीं दी गई है जो हाई कोर्ट में नहीं कही गई थी. हाई कोर्ट ने सभी बातों को सुना था और उन्हें आदेश में जगह दी थी. याचिकाकर्ता की तरफ से जो आशंकाएं जताई गई थीं, उनका हल करने की हाई कोर्ट ने कोशिश की है. हमें नहीं लगता कि हाई कोर्ट के आदेश में किसी तरह के दखल की जरूरत है.'


इसके बाद छात्रा की तरफ से मुकदमे को दिल्ली ट्रांसफर करने की मांग उठाई गई. इस पहलू पर विचार के लिए सहमति जताते हुए कोर्ट ने यूपी सरकार और चिन्मयानंद को नोटिस जारी कर दिया. कोर्ट ने 4 हफ्ते में दोनों से जवाब दाखिल करने के लिए कहा है.


सुनवाई के अंत में छात्रा ने अपने खिलाफ ब्लैकमेल के मुकदमे पर रोक लगाने की मांग की. उसके वकील ने कहा, 'इस मामले में निचली अदालत ने गैर जमानती वारंट जारी कर दिया है.' लेकिन जजों ने दखल देने से मना कर दिया. जजों का कहना है कि, 'यह एक अलग मामला है, जिसकी जांच चल रही है. हम इससे जुड़े मुकदमे पर रोक लगाने की जरूरत नहीं समझते.'