26 जनवरी उपद्रव की जांच में दखल से SC का इनकार, कहा- सरकार को अपना काम करने दीजिए
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पुलिस और सरकार अपना काम कर रहे हैं. अगर याचिकाकर्ता को अपनी कोई बात कहनी है तो वह उन्हें ज्ञापन सौंप सकते हैं. कोर्ट के सामने जो याचिकाएं थीं उसमें से कुछ में पूरे मामले को एनआईए को सौंपने की मांग की गई थी.
नई दिल्ली: 26 जनवरी को दिल्ली में हुए उपद्रव की जांच में दखल देने से सुप्रीम कोर्ट ने मना कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि सरकार और पुलिस अपना काम कर रहे हैं. अगर याचिकाकर्ताओं को कोई बात कहनी है तो वह उन्हें ज्ञापन सौंप सकते हैं.
चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े, जस्टिस एस बोपन्ना और वी रामासुब्रमण्यम के सामने आज चार याचिकाएं लगी थीं. यह याचिकाएं विशाल तिवारी, एम एल शर्मा, शिखा दीक्षित और संजीव नेवार नाम के याचिकाकर्ताओं की थीं. इनमें से कुछ में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में कमिटी बनाकर मामले की जांच की मांग थी. कुछ में पूरा मामला राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए को सौंपने की मांग की गई थी.
सबसे पहले वकील विशाल तिवारी ने बहस शुरू की. उन्होंने कहा कि 25 जनवरी तक शांतिपूर्ण चल रहा किसान आंदोलन अचानक उग्र कैसे हो गया? यह एक ऐसी बात है जिसकी गंभीरता से जांच होनी चाहिए. चीफ जस्टिस ने तिवारी को रोकते हुए कहा, "सरकार मामले को देख रही है. हमने मीडिया में प्रधानमंत्री का बयान देखा है. उन्होंने कहा है कि कानून अपना काम करेगा. फिलहाल इस मामले में हम दखल देने की कोई जरूरत नहीं समझते हैं. अगर आपको कोई बात कहनी है, तो आप सरकार को ज्ञापन सौंप सकते हैं."
वकील ने इस बात की आशंका जताई कि पुलिस की जांच एकतरफा हो सकती है. लेकिन चीफ जस्टिस ने कहा, "हम आपकी इस धारणा का कोई आधार नहीं समझते हैं कि जांच एकतरफा रहेगी. पहले जांच को होने दीजिए. उसके बाद भी कोई टिप्पणी की जा सकती है."
इसके बाद दूसरे वकीलों ने भी अपनी बातें रखने की कोशिश की. लेकिन कोर्ट ने कहा कि जो आदेश पहले मामले में दिया गया है, वह सब पर लागू है. फिलहाल सुप्रीम कोर्ट 26 जनवरी को दिल्ली में जो हुआ, उसकी जांच में दखल देने की जरूरत नहीं समझता है. सरकार और पुलिस को उनका काम करने दिया जाना चाहिए.
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