नई दिल्ली: वाराणसी लोकसभा सीट से पीएम नरेंद्र मोदी के निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है. चुनाव लड़ने में असफल रहे बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेजबहादुर यादव ने दोबारा चुनाव की मांग की थी. इससे पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी इस मांग को खारिज किया था. हाई कोर्ट ने कहा था कि चुनाव लड़ने वाले व्यक्ति ही विजेता के निर्वाचन को चुनौती दे सकता है. इसलिए तेजबहादुर को चुनाव याचिका दायर करने का अधिकार ही नहीं है.
SC में क्या हुआ?
हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील में सुप्रीम कोर्ट पहुंचे तेजबहादुर ने 6 महीनों में 3 बार मामला टलवाया. 18 नवंबर को जब चौथी बार मामला लगा तो उनकी तरफ से फिर यही अनुरोध किया गया. लेकिन इस बार 3 जजों की बेंच की अध्यक्षता कर रहे चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े ने इसे स्वीकार करने से मना कर दिया. उन्होंने कहा कि अपीलकर्ता को पहले ही पर्याप्त अवसर दिया जा चुका है. प्रधानमंत्री का पद अपने आप मे विशिष्ट और देश का इकलौता पद है. उनके निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका को यूं ही महीनों तक लटकाए नहीं रखा जा सकता है.
बेंच ने तेजबहादुर के लिए पेश वकील प्रदीप यादव से जिरह करने के लिए कहा. यादव ने कहा कि रिटर्निंग ऑफिसर ने तेजबहादुर से चुनाव लड़ने की योग्यता पर चुनाव आयोग का प्रमाणपत्र पेश करने के लिए कहा. रिटर्निंग ऑफिसर ने बताया कि जो लोग सरकारी नौकरी से बर्खास्त होते हैं उन्हें यह प्रमाणपत्र देना होता है कि वह भ्रष्टाचार या किसी ऐसी वजह से नहीं निकाले गए हैं, जिसके चलते वह 5 साल तक चुनाव न लड़ सकें. तेजबहादुर ने यह सर्टिफिकेट लाने के लिए समय मांगा, लेकिन पर्याप्त समय नहीं दिया गया. 30 अप्रैल 2019 को शाम 6 बजे नामांकन पर आपत्ति की गई. 1 मई को 11 बजे उसे खारिज कर दिया गया.
सवाल का जवाब नहीं दे सके वकील
इस पर जजों ने वकील से पूछा कि क्या उन्होंने यह बात हाई कोर्ट में रखी थी? हाई कोर्ट ने अपने फैसले में इस पर क्या लिखा है? लेकिन बिना किसी तैयारी के पेश हुए वकील पास इसका कोई जवाब नहीं था. उन्होंने कहा कि कोर्ट कुछ दिनों के लिए मामला टाल दी. वह सवाल का जवाब देंगे. चीफ जस्टिस ने इससे मना कर दिया. कहा, “हम कह चुके हैं कि अब मामला नहीं टाला जाएगा.“
तेजबहादुर के वकील ने कहा कि उन्हें 5 मिनट का मौका दिया जाए. कम से कम तब तक सुनवाई टाली जाए. चीफ जस्टिस ने कहा कि हम आपको 5 मिनट दे रहे हैं. हम बैठे हैं. आप फ़ाइल को देख कर हमारे सवाल का जवाब दीजिए.“
इस बीच पीएम मोदी के लिए पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कोर्ट को बताया कि तेजबहादुर ने 2 बार नामांकन भरा. 24 अप्रैल को निर्दलीय और 29 अप्रैल को समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में. एक नामांकन में उन्होंने नौकरी से बर्खास्त की जानकारी नहीं दी, दूसरे में खुद को बर्खास्त बताया. यह विरोधाभास उनका नामांकन खारिज होने की बड़ी वजह था. रिटर्निंग ऑफिसर ने उनसे नियमों के मुताबिक योग्यता का प्रमाणपत्र चुनाव आयोग से लेने को कहा. पर उस पर तेजबहादुर का जवाब संतोषजनक नहीं था.
इधर 5 मिनट से फाइलों को उलट-पुलट रहे प्रदीप यादव कोर्ट के सवाल का साफ जवाब देने में असफल रहे. उन्होंने एक बार फिर सुनवाई 2 दिन टालने की मांग की. लेकिन जजों ने कहा कि मामले को अब आदेश के लिए बंद किया जा रहा है.
SC ने फैसले में क्या कहा
आज बेंच की तरफ से चीफ जस्टिस ने संक्षिप्त फैसला पढ़ा. उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दाखिल अपील विचार के योग्य नहीं है. इसलिए, इसे खारिज किया जा रहा है. इस तरह चुनाव नामांकन पत्र भरने में नियमों का पालन न कर पाने वाले तेजबहादुर की मांग ठुकरा दी गई है. कोर्ट ने माना है कि याचिका में कही गई बातें किसी सीट पर दोबारा चुनाव करवाने का आधार नहीं हो सकती हैं.