नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के दो आला पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अदालत की अवमानना का मामला सुप्रीम कोर्ट ने आज निरस्त कर दिया. राज्य के आईजी और श्रीनगर के एसएसपी के खिलाफ ये कार्रवाई चर्चित शब्बीर अहमद मीर मौत मामले में शुरु हुई थी.


क्या था मामला


10 जुलाई 2016 को श्रीनगर में शब्बीर अहमद मीर नाम के युवक की मौत हुई थी. पुलिस का कहना था कि बुरहान वानी के एनकाउंटर का विरोध कर रही उग्र भीड़ पर पैलेट गन चलाने से शब्बीर घायल हुआ था. जबकि, उसके परिवार ने आरोप लगाया था कि श्रीनगर के डीएसपी यासिर क़ादरी ने घर में घुस कर शब्बीर को गोली मारी थी. इस मामले में निचली अदालत ने डीएसपी और दूसरे पुलिसवालों के खिलाफ हत्या की एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था.


हाईकोर्ट ने न सिर्फ इस आदेश पर रोक लगाने से मना किया, बल्कि एफआईआर न करने के लिए आला पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई भी शुरू की. जब ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो कोर्ट ने अवमानना की कार्रवाई पर रोक लगा दी. 12 अगस्त 2016 को कोर्ट ने शब्बीर का शव कब्र से निकाल कर पोस्टमार्टम का आदेश दिया.


आज क्या हुआ


आज जस्टिस चेलमेश्वर की अध्यक्षता वाली बेंच को बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक शब्बीर के शव को कब्र से निकाल कर पोस्टमार्टम किया गया था. इसमें इस बात की पुष्टि हुई कि शब्बीर को गोली नहीं मारी गई थी. कोर्ट को ये जानकारी भी दी गई कि 10 जुलाई 2016 को हुई घटना पर पुलिस जांच पूरी कर चुकी है. पुलिस और अर्धसैनिक बलों के ऊपर पथराव करने वाले कई लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई है.


कोर्ट ने क्या कहा


जस्टिस चेलमेश्वर और संजय किशन कौल की बेंच ने माना कि बदले हालात में अब इस मामले को आगे चलाना ज़रूरी नहीं. डीएसपी यासिर कादरी के खिलाफ किसी कार्रवाई की ज़रूरत नहीं है. आईजी और एसएसपी के खिलाफ अवमानना का मामला भी अब निरस्त कर देना उचित होगा.