नई दिल्ली: सीबीआई के पूर्व अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव को सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना मामले में अनोखी सजा सुनाई है. नागेश्वर राव को बिहार के मुजफ्फरपुर शेल्टर हाउस केस में कोर्ट से बिना अनुमति लिए ट्रांसफर करने पर सुप्रीम कोर्ट ने सजा सुनाई है. कोर्ट ने अवमानना का आरोप लगाते हुए कहा कि कोर्ट उठने तक एक कोने में बैठे रहिए. इसके साथ ही एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया. इस मामले नागेश्वर राव को कानूनी सलाह देने वाले अधिकारी वासुरन को भी यही सज़ा मिली है.





बता दें कि मुजफ्फरपुर शेल्टर हाउस मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में चल रही है. नागेश्वर राव ने पटना के ज्वाइंट डायरेक्टर एके शर्मा का ट्रांसफर कर दिया गया था. उनका ट्रांसफर सुप्रीम कोर्ट की अनुमति के बिना सीआरपीएफ में ट्रांसफर कर दिया गया. कोर्ट ने कहा है कि नागेश्वर राव को इस बात की जानकारी थी कि ऐसे ट्रांसफर नहीं किया जा सकता, लेकिन इसके बाद भी उन्होंने ट्रांसफर किया.


पूरे मामले की सुनवाई के दौरान नागेश्वर राव की ओर से पेश एटॉर्नी जनरल लगातार बिना शर्त माफी की मांग करते रहे. इस कोर्ट ने कहा कि अगर हम माफी स्वीकार भी कर लें तब भी कोर्ट की अवमानना तो हुई ही है. सीजेआई ने सुनवाई के दौरान कहा कि आप दोषी हैं और हम 30 दिन तक जेल भी भेज सकते हैं. लेकिन एटॉर्नी जनरल के बार बार आग्रह माफी देने का आग्रह किया, 30 साल का बेदाग और सम्मानित करियर रहा है. इसके बाद भी सीजेआई ने यह सजा सुनवाई.


सीबीआई नागेश्वर राव को लेकर कर रही गंभीर विचार
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सीबीआई मुख्यालय में नागेश्वर राव को मिली सजा के मद्देनजर वर्तमान निदेशक ऋषि कुमार शुक्ला एक बड़ी बैठक कर रहे हैं. नागेश्वर राव को सीबीआई से हटाने पर भी विचार किया जा रहा है. सीबीआई इस मामले को बेहद गंभीरता से देक रहा है.