नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा (UPSC) के कुछ छात्रों को राहत देने से मना कर दिया है. कोर्ट ने उन छात्रों को अतिरिक्त मौका देने से इनकार किया है, जो आयु-वर्जित हैं. इस फैसले का असर करीब 2000 से ज्यादा उम्मीदवारों पर पड़ेगा. सुप्रीम कोर्ट से यूपीएससी परीक्षा के लिए आखिरी प्रयास वाले छात्रों को अतिरिक्त मौका देने की मांग की गई थी. कोरोना के बीच अक्टूबर 2020 की परीक्षा में अपना अंतिम प्रयास कर चुके याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट से आग्रह किया था कि उन्हें एक अतिरिक्त मौका दिया जाना चाहिए.


याचिका में क्या कहा गया
याचिकाकर्ता ने महामारी के दौरान अपने स्वास्थ्य का खयाल रखते हुए 2020 में परीक्षा छोड़ने के विकल्प के बीच परीक्षा की पर्याप्त तैयारी न होने की दलील दी थी और एक अतिरिक्त मौका देते हुए कोर्ट से राहत मांगी थी. दलील दी गई कि कोरोना महामारी के दौरान अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखते हुए सभी के पास 2020 में परीक्षा छोड़ने से बचने का एक विकल्प होना चाहिए था, मगर अंतिम प्रयास में परीक्षा में बैठने वालों के लिए कोई विकल्प ही नहीं बचा और उन्हें पर्याप्त तैयारी के बिना ही परीक्षा में बैठना पड़ा.


केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू ने जोर देकर कहा कि सरकार आयु-वर्जित उम्मीदवारों पर अपना रुख नरम करने के लिए तैयार नहीं है और कहा कि ये न्यायालय के दायरे से परे नीतिगत मामले हैं. उन्होंने कहा, "यह वह परीक्षा नहीं है, जिसमें आप अंतिम समय में तैयारी करते हैं. लोग एक साथ सालों तक तैयारी करते हैं."


बता दें कि केंद्र पहले ही उन उम्मीदवारों को अतिरिक्त मौका देने के लिए सहमत हो गया है, जिन्होंने अक्टूबर 2020 में अपने आखिरी प्रयास को खत्म कर दिया था. हालांकि, केंद्र की छूट इस शर्त के साथ है कि ऐसे उम्मीदवार आयु-वर्जित नहीं होने चाहिए.


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