सुप्रीम कोर्ट ने अमेजन के पक्ष में सुनाया फैसला, फ्यूचर रिटेल के साथ रिलायंस की डील पर लगाई रोक
अमेरिकी ई-रिटेल कंपनी अमेजन 24,713 करोड़ के इस सौदे के खिलाफ है. अमेजन का कहना है कि सिंगापुर में इमरजेंसी आर्बिट्रेटर इस सौदे पर रोक लगा चुके हैं.
नई दिल्ली: रिलायंस और फ्यूचर रिटेल को बड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने अमेजन के पक्ष में फैसला सुनाते हुए फ्यूचर रिटेल लिमिटेड के रिलायंस रिटेल में विलय होने के 24 हजार करोड़ के सौदे पर रोक लगा दी है. इस फैसले के बाद रिलांयस के शेयर 1.33 फीसदी तक गिर गए.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि फ्यूचर रिटेल के रिलायंस रिटेल के साथ विलय सौदे पर रोक लगाने का फैसला भारतीय कानूनों के तहत वैध और लागू करने योग्य है. सिंगापुर में आया इमरजेंसी आर्बिट्रेशन का फैसला भारत में लागू है. इमरजेंसी आर्बिट्रेशन ने इस सौदे पर रोक लगाई थी. अमेजन ने इस विलय सौदे का विरोध किया था.
अमेजन इस सौदे के खिलाफ है
अमेरिकी ई-रिटेल कंपनी अमेजन 24,713 करोड़ के इस सौदे के खिलाफ है. अमेजन का कहना है कि सिंगापुर में इमरजेंसी आर्बिट्रेटर इस सौदे पर रोक लगा चुके हैं. इसके रहते फ्यूचर का रिलायंस में विलय नहीं हो सकता. इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने फ्यूचर रिटेल को इमरजेंसी आर्बिट्रेटर का आदेश मानने के लिए कहा था. इससे विलय का सौदा खटाई में पड़ गया था. फ्यूचर ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी है कि भारतीय कानूनों में इस तरह के इमरजेंसी अंतर्राष्ट्रीय आर्बिट्रेशन की कोई मान्यता नहीं है.
दरअसल, अमेजन ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जिसने रिलायंस-एफआरएल सौदे को हरी झंडी दे दी थी. एफआरएल का प्रतिनिधित्व करने वाले साल्वे ने तर्क दिया कि मध्यस्थता और सुलह पर भारतीय कानून के तहत ईए की कोई धारणा नहीं है और साथ ही, इस आशय का कोई मध्यस्थता समझौता नहीं था. उन्होंने जोर देकर कहा कि भारतीय कानून के तहत ईए के लिए कोई प्रावधान नहीं है. इसके बाद पीठ ने आठ फरवरी को सौदे के संबंध में एकल न्यायाधीश के उस आदेश पर रोक लगा दी थी, जिसमें उन्होंने एफआरएल और विभिन्न वैधानिक निकायों से यथास्थिति बनाए रखने के लिए कहा था.
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