मध्य प्रदेश में सरकार गठन का मामला: SC ने कहा- राज्यपाल फ्लोर टेस्ट का आदेश देने में सही थे
मध्य प्रदेश में सरकार गठन मामले को लेकर SC ने कहा कि राज्यपाल फ्लोर टेस्ट का आदेश देने में सही थे.बता दें कि सदन में दो तौर-तरीके होते हैं. अविश्वास प्रस्ताव या फ्लोर टेस्ट.
भोपाल: मध्य प्रदेश में फ्लोर टेस्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने विस्तृत आदेश जारी किया है. हालांकि इससे पहले ही कमलनाथ सरकार गिर गई थी और बीजेपी ने सरकार बना ली थी. 19 मार्च को अंतरिम आदेश जारी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि 20 मार्च को शाम पांच बजे फ्लोर टेस्ट कराया जाए.
कोर्ट ने अभिषेक मनु सिंघवी के इस तर्क को मंजूर नहीं किया कि राज्यपाल आदेश पारित नहीं कर सकते. कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल स्वयं कोई निर्णय नहीं ले रहे हैं. राज्यपाल एक फ्लोर टेस्ट बुला रहे हैं. सदन में दो तौर-तरीके होते हैं. अविश्वास प्रस्ताव या फ्लोर टेस्ट.
शिवराज सिंह चौहान ने सप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर फ्लोर टेस्ट कराने की मांग की थी और कहा था कि 22 विधायकों ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है और सरकार अल्पमत में है. लिहाजा फ्लोर टेस्ट कराया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के स्पीकर को सुझाव दिया कि अगर वह बागी एमएलए से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बात करेंगे तो कोर्ट इसके लिए एक ऑब्जर्वर नियुक्त कर सकता है. हालांकि स्पीकर की ओर से पेश वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने इस सुझाव को खारिज कर दिया.
दो दिन की लंबी सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने फैसला दिया था कि विधानसभा में 20 मार्च को शाम के वक्त फ्लोर टेस्ट कराया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्देश में कहा था कि मीटिंग का एक सूत्री एजेंडा फ्लोर टेस्ट होगा.
इसके लिए जो वोटिंग होगी वह हाथ उठाकर होगी. विधानसभा की कार्यवाही की वीडियो रिकॉर्डिंग की जाएगी. संबंधित अथॉरिटी इस बात को सुनिश्चित करेगी कि फ्लोर टेस्ट के दौरान कानून व्यवस्था कायम रहेगी. राज्य के डीजीपी को निर्देश दिया गया था कि वह इस बात को सुनिश्चित करेंगे कि बागी विधायकों को आने से ना रोका जाए उन्हें पर्याप्त सुरक्षा दी जाए.
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