नई दिल्लीः तीन तलाक के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. पांच जजों की बेंच में से तीन जजों ने इसे असंवैधानिक करार दे दिया है. तीन जजों के असंवैधानिक करार देने के साथ ही बहुमत से तीन तलाक खारिज यानि समाप्त हो गया. सुप्रीम कोर्ट ने एक साथ तीन बार तलाक बोलकर तलाक लेने की व्यवस्था को आज खत्म कर दिया. यानि अब कोई भी मुस्लिम पुरूष अपनी पत्नी को एक बार में तीन तलाक बोलकर तलाक नही दे सकता.
सुप्रीम कोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले की बड़ी बातें हम आपको बता रहे हैं. इस पांच प्वाइंट्स में जानें आज देश की सर्वोच्च न्यायालय ने तीन तलाक पर क्या बड़े फैसले सुनाए.
1.सुप्रीम कोर्ट ने बहुमत से तलाक ए बिद्दत को असंवैधानिक करार दिया यानी इसे खत्म कर दिया. मुस्लिम महिलाओं के लिए ये फैसला उनकी जिंदगी बदलने वाला है.
2. कोर्ट के इस फैसले के साथ ही आज से एक साथ तीन बार तलाक बोलकर तलाक देना मान्य नही होगा. पांच जजो की बेंच में से तीन जजों ने तीन तलाक को असंवैधानिक बताया.
3. सुप्रीम कोर्ट ने एक साथ तीन तलाक को महिलाओं के मौलिक औऱ समानता के अधिकार का उललंघन माना. सुप्रीम कोर्ट ने इस्लामिक देशों में तीन तलाक खत्म किये जाने का हवाला दिया और पूछा कि स्वतंत्र भारत इससे निजात क्यों नहीं पा सकता.
4. पांच जजों की बेंच इसपर एकमत नही थी. दो जज इसे पूरी तरह खारिज करने के पक्ष में नही थे. उनका मत था कि ये अनुच्छेद 25 के तहत धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के दायरे में आता है। लेकिन 3 जजों ने इसे संवैधानिक अधिकारों का उल्लंधन माना इसलिए बहुमत से ये गैरकानूनी करार दिया गया.
5. जस्टिस खेहर ने कहा कि तीन तलाक पर सरकार संसद में कानून बनाए. सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों से अपने मतभेदों को दरकिनार रखने और तीन तलाक के संबंध में कानून बनाने में केन्द्र की मदद करने को कहा है. हालांकि तलाक ए बिद्दत को गैरकानूनी करार दिए जाने के बाद सरकार के उपर कानून बनाने की बाध्यता नही है.
पांच जजों की संविधान पीठ ने 18 मई को इस पर फैसला सुरक्षित रखा था. इस व्यवस्था को खत्म करने के लिए मुस्लिम महिलाओं की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में दलीलें रखी गई थी, जबकि पर्सनल लॉ बोर्ड ने इसे धार्मिक मसला बताते हुए इस पर सुनवाई न करने की मांग की थी.
इस मामले में कुल 30 पक्षों ने अपनी दलीलें रखीं। इनमें 7 मुस्लिम महिलाएं - शायरा बानो, नूरजहां नियाज़, आफरीन रहमान, इशरत जहां, गुलशन परवीन, आतिया साबरी और फरहा फैज़ भी शामिल थीं। इन महिलाओं ने कोर्ट से 3 तलाक को रद्द करने की गुहार की। मुस्लिम महिला आंदोलन, मुस्लिम वीमेन पर्सनल लॉ बोर्ड, लॉयर्स कलेक्टिव जैसे कई संगठनों ने इस मांग का समर्थन किया।