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कोर्ट की अवमानना के आरोप में सुप्रीम कोर्ट ने कर्णन को छह महीने के लिए जेल भेजा
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में आज वो हुआ, जिसके बारे में आज से पहले सोचना भी मुश्किल था. पहली बार हाई कोर्ट के किसी मौजूदा जज को जेल भेजने का आदेश आया. वो भी ऐसे अपराध के लिए, जिसकी उम्मीद जज से नहीं की जाती. अदालत की अवमानना के लिए कलकत्ता हाई कोर्ट के जस्टिस सी एस कर्नन को 6 महीने के लिए जेल भेज दिया गया.
सुप्रीम कोर्ट के 7 जजों की बेंच ने जस्टिस कर्नन को तुरंत गिरफ्तार करने का आदेश दिया है. पश्चिम बंगाल के डीजीपी को इस आदेश पर अमल करना है. लगातार विवादों में रहने वाले जस्टिस कर्नन के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई उनकी एक चिट्ठी के आधार पर शुरू की गई थी.पीएम को लिखी चिट्ठी में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के 20 जजों को भ्रष्ट करार दिया था. इस चिट्ठी पर सुप्रीम कोर्ट ने उनसे स्पष्टीकरण मांगा. जवाब देने की बजाय उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के जजों के खिलाफ ही आदेश पारित करना शुरू कर दिया. घर पर ही अदालत लगा कर वो आदेश पारित करते रहे. जबकि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अदालती काम करने से मना कर रखा था.
1 मई को सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस कर्नन की मानसिक जांच का आदेश दिया था. कोर्ट ने कहा था, “उनके बर्ताव को देख कर लगता है कि वो शायद पूरी तरह से स्वस्थ नहीं हैं.” कोर्ट के आदेश पर पश्चिम बंगाल सरकार ने मेडिकल बोर्ड का गठन किया. लेकिन जस्टिस कर्नन ने मेडिकल जांच से इंकार कर दिया. मेडिकल जांच से इंकार करने के बाद उन्होंने फिर से सुप्रीम कोर्ट में उनके मामले को सुन रहे जजों के खिलाफ धड़ाधड़ कई आदेश दे दिए. उनके ये अटपटे आदेश मीडिया में जगह बनाते रहे. कई बार उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस कर के भी जजों के खिलाफ बयान दिए. आज सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया को जस्टिस कर्नन का कोई भी बयान दिखाने या छापने से मना कर दिया. जस्टिस कर्नन मद्रास हाई कोर्ट में जज रहने के दौरान से ही विवादित रहे हैं. उन्होंने मद्रास हाई कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस के खिलाफ अवमानना का नोटिस जारी कर दिया था. कई साथी जजों पर दलित उत्पीड़न का आरोप लगाया था. सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जब उन्हें कलकत्ता हाई कोर्ट ट्रांसफर करने का आदेश दिया तो उन्होंने इस आदेश पर रोक लगा दी थी. सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद कर्नन कलकत्ता हाई कोर्ट गए, लेकिन चेन्नई में सरकारी मकान खाली नहीं किया. मद्रास हाई कोर्ट की कई फाइलें भी अपने साथ ले गए. आज कोर्ट में मौजूद एडिशनल सॉलिसिटर जनरल मनिंदर सिंह ने जजों को जस्टिस कर्नन के हालिया आदेशों की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि अदालती कामकाज से मना किए जाने के बावजूद वो जिस तरह से आदेश जारी कर रहे हैं, वो न्यायपालिका की गरिमा को गिराने वाला है. अवमानना के आरोपी होते हुए भी वो लगातार अवमानना भरी हरकतें कर रहे हैं. कोर्ट को अब सज़ा का ऐलान करना चाहिए. अदालत में मौजूद वरिष्ठ वकील के के वेणुगोपाल ने सलाह दी कि हाई कोर्ट के मौजूदा जज को जेल भेजना न्यायपालिका की गरिमा के हिसाब से सही नहीं होगा. कर्नन अगले महीने रिटायर होने वाले हैं. इसके बाद ही उन्हें कोई सज़ा दी जाए. लेकिन 7 जजों की बेंच ने इससे इंकार करते हुए कहा, "जब बात कोर्ट के अवमानना की हो तो ये नहीं देखा जाता कि आरोपी एक आम नागरिक है या कोई जज. अगर हम न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंचाने के आरोपी को कोई रियायत देंगे तो लोगों को ये सन्देश जाएगा कि उसे जज होने का फायदा मिला." कोर्ट ने ये भी कहा कि खुद कर्नन अपने आप को दिमागी तौर पर फिट करार दे चुके हैं. ऐसे में ये साफ़ है कि उन्होंने जो कुछ भी किया वो जान-बूझ कर किया. ध्यान रहे कि जेल भेजे जाने के बावजूद जस्टिस कर्नन जज बने रहेंगे. अगर वो खुद इस्तीफा नहीं देते तो रिटायर होने तक जज बने रहेंगे. ऐसा इसलिए क्योंकि हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों को सिर्फ संसद में प्रस्ताव पारित कर ही हटाया जा सकता है.
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अनिल चमड़ियावरिष्ठ पत्रकार
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