नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के 3 जजों की बेंच आज SC/ST एक्ट में तुरंत गिरफ्तारी पर रोक के फैसले के खिलाफ सरकार की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करेगी. पिछले हफ्ते 2 जजों की बेंच ने मसला 3 जजों की बेंच में भेज दिया था. हालांकि, मार्च 2018 के इस फैसले के बाद सरकार ने कानून में संशोधन कर तुरंत गिरफ्तारी का प्रावधान फिर जोड़ दिया था. यानी अभी फैसले से पहले वाली स्थिति बरकरार है. ऐसे में अगर कोर्ट सरकार की पुनर्विचार अर्ज़ी को स्वीकार कर लेता है तो दोबारा जोड़े गए प्रावधान पर आगे सुनवाई की ज़रूरत नहीं रह जाएगी. नहीं तो आगे सुनवाई होगी.


सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार की पुनर्विचार याचिका पर अपना फैसला एक मई को सुरक्षित रखते हुये टिप्पणी की थी कि देश में कानून जातिविहीन और एकसमान होने चाहिए. केन्द्र ने 20 मार्च के फैसले पर पुनर्विचार करने पर जोर देते हुये कहा था कि इससे समस्यायें पैदा होंगी अत: इस पर फिर से विचार किया जाना चाहिए.


कोर्ट के इस फैसले के बाद देश के विभिन्न हिस्सों में अनुसूचित जाति और जनजातियों के संगठनों ने बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किये थे. इस फैसले का समर्थन करने वाले कुछ दलों ने दलील दी थी कि केन्द्र की पुनर्विचार याचिका निरर्थक हो गयी है, क्योंकि संसद पहले ही इस फैसले को निष्प्रभावी बनाने के लिए अनुसूचित जाति और जनजाति (ज्यादतियों की रोकथाम) संशोधन कानून, 2018 पारित कर चुकी है.


सुप्रीम कोर्ट ने संशोधित कानून पर रोक लगाने से कर दिया था इनकार


इन दलों ने शीर्ष अदालत में पुनर्विचार याचिका पर फैसला होने तक संशोधित कानून पर रोक लगाने का अनुरोध किया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यदि इस फैसले में कुछ गलत हुआ हो तो उसे पुनर्विचार याचिका के माध्यम से ठीक किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने 30 अगस्त को संशोधित कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. यह संशोधित कानून अग्रिम जमानत की व्यवस्था खत्म करने के प्रावधान को बहाल करने से संबंधित था.


संसद ने पिछले साल नौ अगस्त को इस कानून के तहत गिरफ्तारी के मामले में कुछ उपाय करने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के फैसले को निष्प्रभावी करने के इरादे से एक विधेयक पारित किया था. सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च को अपने फैसले में अनुसूचित जाति और जनजाति कानून के कठोर प्रावधानों का सरकारी कर्मचारियों और अन्य लोगों के खिलाफ बड़े पैमाने पर दुरूपयोग का संज्ञान लेते हुये कहा था कि इस कानून के तहत दायर किसी भी शिकायत पर तत्काल कोई गिरफ्तारी नहीं होगी.


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