PhD Programs in IITs: संसद में केंद्र ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में, आईआईटी में पीएचडी आवेदनों (PhD Applications) की वार्षिक दर सामाजिक श्रेणियों (Social Categories) में काफी हद तक समान रही है, लेकिन वंचित समुदायों (Disadvantaged Communities) के उम्मीदवारों सहित उम्मीदवारों का पूल थोड़ा बढ़ा है. माकपा (CPI-M) सदस्य वी शिवदासन के एक सवाल के जवाब में शिक्षा मंत्रालय (Education Ministry ) ने 20 जुलाई को राज्यसभा में ये आंकड़े साझा किए.


मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इन आंकड़ों से पता चलता है कि 2017-18 और 2021-22 के बीच, 23 भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों ( Indian Institutes of Technology ) में डॉक्टरेट कार्यक्रमों के लिए अनुसूचित जाति (एससी) पृष्ठभूमि के उम्मीदवारों के वार्षिक आवेदन 12,476 से बढ़कर 17,814 और अनुसूचित जनजाति (एसटी) पृष्ठभूमि के छात्रों के 2,132 से बढ़कर 3,461 हो गए.


ओबीसी समुदायों के उम्मीदवारों के लिए संबंधित वृद्धि 27,734 से 40,418 थी, और सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों की संख्या 68,663 से 74,343 हो गई.


स्वीकृति दर में नहीं हुआ कोई बड़ा बदलाव
इस अवधि के दौरान, स्वीकृति दर, या प्राप्त आवेदनों की कुल संख्या में से स्वीकार किए गए आवेदनों के प्रतिशत में कोई बड़ा बदलाव नहीं दिखा.


अनुसूचित जाति पृष्ठभूमि के छात्रों के मामले में, स्वीकृति दर 2017-18 में 3.4% और 2021-22 में 3.2% थी. एसटी समुदायों के लोगों के लिए 4.4% और 4.01%, ओबीसी के लिए 4.2% और 3.3%, सामान्य श्रेणी के आवेदकों के लिए 4.5% और 4.5% थी.


कुल मिलाकर, 2017-18 और 2021-22 के बीच की अवधि में आईआईटी द्वारा 17,044 पीएचडी आवेदन स्वीकार किए गए, जिसमें एससी, एसटी, ओबीसी और सामान्य श्रेणी के छात्रों की हिस्सेदारी क्रमश: 9.3%, 2.2% और 23.3% और 61.6% थी.


इतना आरक्षण अनिवार्य है?
केंद्रीय शैक्षणिक संस्थान (प्रवेश में आरक्षण) अधिनियम, 2006 में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्रों के लिए अध्ययन या संकाय की प्रत्येक शाखा में वार्षिक अनुमत संख्या में से क्रमशः 15%, 7.5% और 27%  आरक्षण अनिवार्य है.


कई आईआईटी का कहना है कि चूंकि उनके संस्थानों में पीएचडी कार्यक्रमों के लिए कोई निश्चित स्वीकृत वार्षिक प्रवेश नहीं है, इसलिए वे तकनीकी रूप से आरक्षण नीति का पालन नहीं कर सकते हैं.


वचिंत समूहों के बहुत कम आवेदन किए गए स्वीकार
हालांकि लोकसभा में मंत्रालय की एक 18 जुलाई को माकपा सदस्य एस वेंकटेशन के एक प्रश्न के जवाब में दिए लिखित उत्तर से पता चलता है कि कुछ IIT में,  वंचित समूहों के बहुत कम आवेदन स्वीकृत किए गए.


उदाहरण के लिए, IIT भिलाई में, अनुसूचित जाति पृष्ठभूमि के उम्मीदवारों के 207 आवेदनों में से, 2021 में किसी को भी स्वीकार नहीं किया गया था,  जबकि धारवाड़ और तिरुपति IIT में केवल एक को स्वीकार किया गया था.


इसके अलावा, पिछले साल, आईआईटी मंडी, भिलाई, गोवा और तिरुपति में, क्रमशः 140, 30 और 93 एसटी आवेदकों में से एक का भी चयन नहीं किया गया था. अन्य में,  IIT जोधपुर और IIT भुवनेश्वर ने क्रमशः 107 और 149 एसटी आवेदकों में से एक को स्वीकार किया.


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