SC-ST Quota Within Quota: 1 महीने में तीन बार ‘विरोध’, बार-बार केंद्र सरकार के खिलाफ ‘मोर्चा’ क्यों खोल रहे पीएम मोदी के 'हनुमान'
Chirag Paswan Politics: खुद को पीएम मोदी का हनुमान कहने वाले चिराग पिछले 1 महीने में तीन बार मोदी सरकार के खिलाफ जा चुके हैं. पहले उन्होंने कोटे में कोटा का विरोध किया, फिर लेटरल एंट्री की निंदा की.
SC-ST Quota Within Quota: एससी-एसटी के लिए कोटे के अंदर कोटा को लेकर एक तरफ जहां विपक्षी गठबंधन इंडिया के कई दल और दलित संगठन बुधवार (21 अगस्त 2024) को भारत बंद पर हैं, तो वहीं दूसरी ओर इस मुद्दे पर एनडीए में भी विरोध के सुर उठने लगे हैं. सबसे बड़ी बात ये है कि विरोध के सुर पीएम मोदी के हनुमान कहे जाने वाले चिराग पासवान उठा रहे हैं.
सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में शामिल लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के मुखिया चिराग पासवान ने आज के भारत बंद को भी समर्थन दिया है. पिछले कुछ महीनों में ऐसा पहली बार नहीं है जब चिराग ने बीजेपी से अलग आवाज उठाई है. वह कई बार सरकार से अलग जाकर अपनी आपत्ति जता चुके हैं.
पिछले एक महीने में तीन बार कर चुके हैं विरोध
चिराग पासवान और उनकी पार्टी एक महीने में तीसरी बार मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल चुकी है. चिराग ने अगस्त की शुरुआत में कोटे के अंदर कोटा को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध किया था. वहीं, दूसरी ओर बिहार की ही हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी ने इस फैसले का स्वागत किया था. चिराग ने हाल ही में लेटरल एंट्री के जरिये केंद्र सरकार में जॉइंट सेक्रेटरी, सेक्रेटरी और निदेशक लेवल के 45 रिक्त पद भरने के लिए यूपीएससी के विज्ञापन का भी विरोध किया था. अब चिराग ने आज कोटे के अंदर कोटा को लेकर बुलाए गए भारत बंद को अपना सपोर्ट देकर कहीं न कहीं बीजेपी की चिंता बढ़ा दी होगी.
बार-बार क्यों खोल रहे केंद्र के खिलाफ मोर्चा?
चिराग के इस तरह बार-बार मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने के पीछे के कारण पर राजनीतिक एक्सपर्ट कहते हैं कि चिराग के ऐसा करने के पीछे की दो वजहें हैं. पहला है सामाजिक तो दूसरा है राजनीतिक. एक्सपर्ट कहते हैं कि बिहार की राजनीति में जाति बड़ा फैक्टर है. आरक्षण हमेशा से दलितों के लिए भावनात्मक मुद्दा रहा है. अभी तक दलित-महादलित वर्गीकरण के कारण लोक जनशक्ति पार्टी का वोट बैंक पासवान बिरादरी तक ही सिमटकर रह गया है. अगर वह ऐसे मामलों में चुप रहेंगे तो उन्हें डर है कि यह वोट भी न खिसक जाए.
एक्सपर्ट चिराग के बार-बार विरोध करने के पीछे की दूसरी वजह राजनीतिक मानते हैं. वह कहते हैं कि नीतीश कुमार की पार्टी भी एनडीए में है. नीतीश के आने से पहले तक एनडीए में बिहार से लोजपा ही दूसरी सबसे बड़ी पार्टी थी, लेकिन नीतीश कुमार जिस तरह अपनी शर्तों पर एक बार फिर एनडीए में वापस आए उससे चिराग को अपना भविष्य बेहतर नहीं दिख रहा है. यही वजह है कि वह बीच-बीचे में अपनी ताकत दिखाने की कोशिश करते हैं.
ये भी पढ़ें